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    नई दिल्ली, 18 जुलाई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार के मुजफ्फरपुर आश्रय गृह (शेल्टर होम) में यौन और शारीरिक शोषण का शिकार हुई 44 लड़कियों के लिए एक व्यक्तिगत पुनर्वास योजना बनाने की बात कही है। न्यायालय ने गुरुवार को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) के एक फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट ‘कोशिश’ को यह जिम्मेदारी सौंपी।

    टीआईएसएस ने अपने सोशल ऑडिट में आश्रय गृह में नाबालिग लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार का खुलासा किया था।

    संस्थान को चार सप्ताह के अंदर शीर्ष अदालत के सामने एक योजना प्रस्तुत करनी होगी। अदालत ने संस्थान को निर्देश दिए हैं कि यह सभी के लिए एक सामान्य योजना बनाने के बजाए हर लड़की के लिए व्यक्तिगत योजना बनानी होगी।

    इस प्रक्रिया में, टीआईएसएस को यह पता लगाना होगा कि क्या इन लड़कियों को वापस उनके परिवार में भेजा जा सकता है? अगर उनके परिवार में कोई है तो उनसे बातचीत कर इन लड़कियों को उनके पास भेजना है।

    अगर लड़कियों का परिवार नहीं है तो इस स्थिति में अदालत ने संस्थान के कोशिश प्रोजेक्ट को पीड़ितों के लिए एक मजबूत पुनर्वास कार्यक्रम विकसित करने के लिए कहा है।

    कोशिश के वकील ने कहा कि जब तक यह मामला लंबित है, इस दौरान लड़कियों का पुनर्वास प्राथमिकता होनी चाहिए।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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