आज राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने देश के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर रंजन गोगोई को शपथ दिलवाई। इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कई नेता मौजूद थे।
देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में रंजन गोगोई का कार्यकाल अगले साल नवम्बर तक होगा। देश के उत्तर पूर्वी राज्यों से पहली बार कोई देश का प्रधान न्यायाधीश बननेवाले जस्टिस गोगोई पहले न्यायाधीश हैं। 1 अक्टूबर को सेवा निवृत्ति से पहले प्रथा के अनुसार, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने अगले प्रधान न्यायाधीश के लिए सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ट न्यायाधीश रंजन गोगोई को नामांकित किया था, जिसपर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के ओर से मंजूरी दे दी गयी थीं।
जस्टिस रंजन गोगोई ने न्यायाधीश के तौर पर अपने करिअर कि शुरुवात, 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में की थी। 2011 में उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। 23 अप्रैल 2012 को उन्हें सुप्रीमकोर्ट में बतौर न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
देश के प्रधान न्यायाधीश बनने से पहले जस्टिस गोगोई, बहुचर्चित नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स और लोकपाल के नियुक्ति से केस पर सुनवाई कर रहे। इससे पहले जस्टिस गोगोई सुप्रीमकोर्ट के उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने मई 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायाधीश जस्टिस सी एस करणन को कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट में दोषी करार दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्यमंत्रीयों के आवास से जुड़े केस पर फैसला जस्टिस रंजन गोगोई के पीठ द्वारा सुनाया गया था, जिसके अंतर्गत पूर्व मुख्यमंत्रीयों को सरकारी आवास खाली करने के आदेश दिए गए थें।