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    सरकार के खिलाफ रैली में शामिल किसान

    बीते 12 महीनों में यह दूसरी बार है जब किसानों ने सरकार के खिलाफ मार्च निकाला है। बुधवार को लगभग 50 हजार किसानों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनों ने उनके साथ विश्वासघात किया है। किसानों की यह दूसरी महारैली को यात्रा तय करने में तकरीबन 9 दिनों का समय लग सकता है। ज्ञात हो कि इस महारैली का आयोजन माकपा व ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) ने किया है।

    म्युनिस्ट विचारक गोविंद पानसरे की चौथी पुण्यतिथि के मौके पर बुधवार को महाराष्ट्र के 23 जिलों के किसान इस मार्च में शामिल हुए हैं। यह मार्च 27 फरवरी को मुंबई में समाप्त होगा। जब देश स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद की 88 वीं पुण्यतिथि मनाएगा। एआईकेएस ने देवेंद्र फडण्वीस सरकार पर मार्च 2018 में अपने पिछले आंदोलन के बाद किसानों से किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया है। किसान सूखे जैसी स्थिति को देखते हुए तत्काल राहत की मांग के साथ-साथ, सिंचाई के मुद्दे, ज़मीन के अधिकार, न्यूनतम समर्थन मूल्य, और फसल बीमा योजना की मांग कर रहे हैं।

    एआईकेएस के नेता अजित नावले ने कहा कि, “सरकार ने पिछली बार जो वादे किए थे उसे लगभग एक साल होने को है लेकिन सरकार ने हमारी मांगे अभी तक नहीं पूरी की हैं। हम हारा हुआ महसूस कर रहे थे, इसलिए हमने एक बार फिर केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है।”

    वहीं इस विशाल रैली को आयोजित करने वालों ने सरकार पर इस रैली को बल का प्रयोग करके शांतिपूर्ण ढ़ंग से कुचलने का आरोप लगाया है। एआईकेएस के प्रवक्ता पीएस प्रसाद ने आईएएनएस को बताया कि, “कई घंटों तक पुलिस बिना किसी कारण के मार्च में शामिल होने के लिए आने वाले किसानों के समूहों को रोकती रही। जबरन हमारे पदाधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं।”

    पुलिस ने हालांकि इन आरोपों से इनकार किया है। ठाणे के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय पाटिल ने कहा, “हम औपचारिकता के तौर पर उन किसानों का नाम और पता ले रहे हैं।”

    पिछली रैली में लगभग 35,000 किसानों ने नासिक से मुंबई तक एक भीषण मार्च किया था और महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी मांगों को स्वीकार किए जाने के बाद ही रैली रोकी गई थी। लेकिन, अब वे दावा करते हैं कि उन सभी वादों में से कोई एक भी साल भर में पूरा नहीं हुआ है।

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