वेटलिफ्टर मीराबाई चानू, स्प्रिंटर हिमा दास और हेपटैथालीट स्वप्ना बर्मन सहित टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम तहत एलीट भारतीय एथलीटों ने गुरुवार को पटियाला में ऑफ-फील्ड चीजे सीखने के लिए महत्वपूर्ण ‘एथलीट एजुकेशन वर्कशॉप’ में हिस्सा लिया।
भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) द्वारा आयोजित की गई कार्यशाला में कुछ गैर-खेल मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनसे खिलाड़ियो को अपने करियर के दौरान निपटना होता है।
कार्यशाला को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया गया था क्योंकि बहुत से भारतीय एथलीट बहुत कम उम्र के हैं और उन्हें कॉर्पोरेट घरानों के साथ बेचान अनुबंध कैसे करना है, सार्वजनिक मंचो पर खुद को कैसे संचालित करना है और प्रतियोगतिाओ के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ कैसे बातचीत करनी है, इस पर मार्गदर्शन की आवश्यकता है, साइ ने यह सबएक मीडिया रिलीज में कहा था।
कानून, सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनिंग, मीडिया और एंटी-डोपिंग के क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने तीन घंटे के सत्र में एथलीटों से बात की, जिसमें 100 एथलीटों और कोचों ने भाग लिया। कार्यशाला में डोपिंग रोधी पर एक सत्र भी शामिल किया गया ताकि इन स्टार एथलीटों को उनके स्वास्थ्य और करियर पर प्रतिबंधित दवाओं के दुष्प्रभाव के बारे में बताया जा सके।
साई की निर्देशक जनरल नीलम कपूर ने कहा, ” यह सीरीज की दूसरी वर्कशॉप है और हम एक सकारात्मक प्रतिक्रिया सेे बहुत खुश है जो हमे एथलीट द्वारा मिली है। हम इस वर्कशॉप का आयोजन साइ के दूसरे केंद्र में भी करना चाहेंगे।”
सत्र का संचालन मीडिया विशेषज्ञ कामेश श्रीनिवासन, कानूनी विशेषज्ञ श्वेता गुप्ता, कौशल प्रशिक्षण विशेषज्ञ विपिन सरीन और पीएसएम चंद्रन ने किया।
वेटलिफ्टर जेरेमी लॉरिननुंगा ने कहा, ” मैंने इसके हर सत्र का आनंद लिया है और मुझे यहा पर कुछ ऐसी चीजे सीखने को मिली है जिसके बारे में मुझे पहले पता नही था। मुझे यहा से कुछ टिप्स मिली है कि सार्वजनिक मंच पर कैसा व्यवहार रखना चाहिए और मैं ऐसा ही करुंगी।”
हिमा, जिन्होने हाल ही में एक प्रयोजन सौदा किया है ने कहा, ” जिन अनुबंधो पर हमने हस्ताक्षर किये है वह बड़े लंबे समय तक चलने वाले है हमने इसके बारे में पढ़ा नही है। लेकिन आज, मैंने आज वह सभी चीजे सीखी है कि अनुबंध के किस हिस्से के बारे में एक एथलीट को पता होना चाहिए। हम अपने आना वाले सभी अनुबंधो पर इन बातो पर ध्यान दूंगी।”