मालदीव में संसदीय चुनावो का आयोजन हुआ था और राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की 87 सदस्यीय संसद में जीत निश्चित मानी जा रही है। इसके साथ ही भारत और मालदीव के सम्बन्धो में मज़बूती आ सकती है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को हुए चुनावों में इब्राहिम सोलीह की पार्टी को 60 सीटों पर जीत हासिल हो सकती है। यह उनकी सरकार को स्थिरता प्रदान करेगी,जो सितम्बर में सत्ता में विराजमान हुई थी।
एमडीपी जीत के करीब
नई दिल्ली के विश्लेषकों ने कहा कि एमडीपी की जीत को राष्ट्रपति द्वारा सत्ता को थामे रहने की मज़बूती को प्रदान करेगा और मालदीव में शासन को आसान करेगा, जहां कई सालो से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ था।
एमडीपी की प्रवक्ता अफशान लतीफ ने चुनावो से पूर्व कहा था कि “राष्ट्रपति को जरुरत के मुताबिक समर्थन और सहयोग नहीं मिल रहा है। भ्रष्टाचार और गबन की पूर्ण जांच के आदेश देने के लिए संसद में एमडीपी को बहुमत मिला बेहद महत्वपूर्ण हैं। ताकि गायब हुए और जिनकी हत्या हुई उनको न्याय दिलाया जा सके और सरकार के वादों को पूरा किया जा सके।”
भारत-मालदीव के सम्बन्ध
पूर्व विदेश सचिव कँवल सिबल ने कहा कि “हमारे नजरिये से एमडीपी की जीत हमें बेहद सहूलियत प्रदान करेगी। यह मालदीव में राजनीतिक व्यवस्था को मज़बूत कर देगी, जिन्होंने स्पष्ट तौर पर भारत के साथ संबंधों को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता दिखाई थी।”
चुनावो के दौरान राष्ट्रपति सोलिह की पार्टी ने मतदाताओं से चीनी कर्ज की जांच करने का वादा किया था जो 3 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है और अर्थव्यवस्था को निचोड़ सकता है। इब्राहिम सोलीह के सत्ता पर विराजमान होते ही भारत ने मालदीव के साथ संबंधों को सुधारने की पहल शुरू कर दी थी। नवंबर में राष्ट्रपति पद की शपथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव पंहुचे थे।
इब्राहिम सोलीह ने अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के रूप में भारत का चयन किया। उनकी यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी ने मालदीव के लिए 1.4 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता पैकेज का ऐलान किया था। मालदीव ने भारत को सुनिश्चित किया था कि वह नई दिल्ली के सुरक्षा हितो के प्रति संवेदनशील रहेगा।