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    मालदीव चीन भारत

    मालदीव सरकार ने भारतीय दूतावास से मिलने वाले नेताओं को निलंबित किया है। मालदीव सरकार के इस कदम से भारत विचलित हो सकता है। मालदीव के स्थानीय निकाय के तीन सदस्यों ने भारतीय राजदूत अखिलेश मिश्रा के साथ मुलाकात की थी जिसके बाद मालदीव सरकार ने तीनों सदस्यों को निलंबित कर दिया था।

    सदस्यों का निलंबन मालदीव द्वारा मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पर हस्ताक्षर करने और बीजिंग के साथ समुद्री व्यापार योजना पर हस्ताक्षर करने के बाद तुरंत बाद किया गया है।

    चीन व मालदीव के बीच हुए समझौते व इस घटना के बाद नई दिल्ली ने एक औपचारिक वक्तव्य जारी नहीं किया है। जानकारी के अनुसार इस फैसले के पीछे के तर्क को समझने के लिए वहां अधिकारियों के पास भारतीय राजनियक पहुंचे है।

    मालदीव की स्थानीय सरकार प्राधिकारण ने 11 दिसंबर को एक परिपत्र जारी करते हुए कहा था कि सभी विदेश नीति शक्तियां राष्ट्रपति पद में निहित होती है, इसलिए काउंसिल और विदेशी राजनयिकों के बीच हुई कोई भी बैठक गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही हो सकती थी।

    लेकिन तीनों सदस्यों ने इन नियमों की अवहेलना करते हुए बिना कोई मंजूरी दिए बैठक की है। जिसके बाद उन्हें निलंबित किया है। मालदीव के इस कदम की कई विदेशी राजदूतों ने आलोचना की है।

    चीन-मालदीव की बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए चिंता का विषय

    मालदीव ने चीन के साथ 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए है। जिसमें चीन की वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) पहल को संयुक्त रूप से बढ़ावा देने का समझौते भी शामिल है। चीन ओबीओआर की महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। लेकिन इसमें भारत ने शामिल होने से इंकार कर रखा है।

    मालदीव ने हिंद महासागर क्षेत्रों में भारतीय हितों को दरकिनार करते हुए चीन के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए है। यहीं नहीं मालदीव ने हिंद महासागर में तीन चीनी युद्धपोतों को शामिल होने की अनुमति भी दी है। इससे चीन का प्रभाव अधिक हो जाएगा। चीन व मालदीव की बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है।

    भारत ने की मालदीव से बेहतर संबंधों की उम्मीद

    चीन-मालदीव समझौते के बाद भारत ने गुरूवार को कहा कि भारत आशा करता है कि हिंद महासागर द्वीप समूह देश, नई दिल्ली की चिंताओं के प्रति भी संवेदनशील होगा। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत ने मालदीव के साथ अपने संबंधों को सबसे अधिक महत्व दिया है।

    रवीश कुमार ने कहा कि दोनों देशों के बीच में मजबूत ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध है। आगे कहा कि हम उम्मीद करते है कि मालदीव एक मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देश के रूप में भारत की चिंताओं व सुरक्षा मुद्दों को भी अपने समझौते में ध्यान रखेगा। भारत ने आशंका जताई है कि चीन, मालदीव में सैन्य आधार भी स्थापित कर सकता है।