भारत और मालदीव पूर्वती सरकारों के मध्य पनपे गिले-शिकवे भूलकर आगामी द्विपक्षीय रिश्तों को मज़बूत बनाने के लिए सहमत है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक हुए थे। राष्ट्रपति इब्राहीम सोलिह ने इस भव्य समारोह में केवल भारत के पीएम मोदी को ही आमंत्रण दिया था। पीएम मोदी को आमंत्रण यह साफ़ सन्देश देता है कि भारत के लिए मालदीव पिघल रहा है।
दोनों राष्ट्रों ने विवादों पर ध्यान केन्द्रित करने और हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम रखने पर सहमती जताई है। इब्राहिम सोलिह में मालदीव की बिगड़ती अर्थव्यवस्था के बारे में बताया और पीएम मोदी ने मालदीव को आश्वासन दिया कि भारत सरकार मालदीव की हर संभव मदद के लिए तत्पर है।
प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के बाद इब्राहिम सोलिह ने भारत पहले नीति के बाबत बताया। चीनी समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने वकास कार्यों के लिए चीन से अंधाधुंध कर्ज लिया था।
इन परियोजनाओं के लिए चीन से 1.5 अरब डॉलर से 3 अरब डॉलर तक की आर्थिक सहायता ली गयी थी, यह रकम मालदीव के सालाना सकल घरेलू उत्पाद के आधी है। इब्राहीम सोलिह को सबसे पहले आर्थिक कर्ज की चुनौती का सामना करना होगा।
इब्राहिम सोलिह को मालदीव के पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद का पूर्ण सहयोग है। मालदीव में सितम्बर में हुए राष्ट्रपति चुनावों में अब्दुल्ला यामीन को 42 फीसदी वोट मिले थे। पूर्व राष्ट्रपति ने सत्ता का हस्तांतरण करने में काफी अड़चने उत्पन्न की थी।
मालदीव के खोया विश्वास वापस हासिल करके भारत खुश होगा क्योकि भारत के अधिकतर मित्र देश चीन के पक्षधर हो रहे थे। इब्राहीम सोलिह की सरकार की मंत्री मरिया बीबी ने कहा था कि भारत द्वारा तोहफे में दिए गए दो विमानों को वापस नहीं लौटाया जायेगा।
पूर्व राष्ट्रपति अबुल्ला यामीन ने कहा था कि भारत अपने दिए दो हेलिकॉप्टरों को वापस ले जाए। साथ ही उन्होंने सैकड़ों भारतीयों को कार्य वीजा देने से इनकार कर दिया था। भारत मालदीव की नवनिर्वाचित सरकार और लोकतान्त्रिक संस्थानों को मज़बूत करने के लिए कार्य करेगा।