मालदीव की नवनिर्वाचित सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने शरीक होकर, दोनों राष्ट्रों के मध्य उपजे मतभेदों के बीज को उगने से रोक दिया था। दोनों देशों एक बार फिर द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिए तत्पर है। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शहीद आज चार दिवसीय यात्रा पर भारत पहुँच चुके हैं।
Maldivian Foreign Minister @abdulla_shahid arrives in #Delhi on four-day visit to India. pic.twitter.com/l7NF7iWHjU
— All India Radio News (@airnewsalerts) November 24, 2018
अधिकारिक सूचना के मुताबिक मालदीव के विदेश मंत्री से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज रूबरू होंगी। प्रधानमन्त्री मोदी की मालदीव की यात्रा के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति इब्राहीम सोलिह से मुलाकात की थी। इस बैठक में दोनों नेताओं ने राष्ट्रों के मध्य दोस्ती और समझौतों को दोबारा पुनर्स्थापित करने की प्रतिबद्धता दिखाई थी। साथ ही हिन्द महासागर के इलाकें में शांति और सुरक्षा कायम करने पर रजामंदी दी थी।
मालदीव में 23 नवम्बर को हुए चुनाविन ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को हैरतंगेज तरीके से हराते हुए विपक्षी दल के उम्मीदवार इब्राहीम सोलिह ने प्रधानमन्त्री पद हासिल कर लिया था।
अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में चीन के साथ नजदीकियां बढ़ने से भारत और मालदीव के मध्य तल्खियाँ बढ़ गयी थी। अब्दुल्ला यामीन ने भारतीयों को कार्य वीजा देने से इनकार कर दिया था और भारत के तोहफे में दिया दो विमानों को वापस लौटाने की बात कही थी। अब्दुल्ला यामीन ने चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर किये थे।
अदालत ने आदेश दिया था कि जेल में बंद सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया जाए, अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव में 45 दिन के आपातकाल की घोषणा की थी।
भारत ने पूर्व राष्ट्रपति के इस कदम की आलोचना की थी। चुनाव सम्पन्न होने के बावजूद अब्दुल्ला यामीन सत्ता के हस्तांतरण के लिए तैयार नहीं थे, उन्होंने शीर्ष अदालत में चुनावी प्रक्रिया में धांधली की बात कही थी।
पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान कई राजनेताओं को जेल में बंद कर दिया था और कई नेताओं को देश से निर्वासित होने के लिए मजबूर किया गया था।