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    भारत-मालदीव सम्बन्ध

    भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव के नवनियुक्त राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होंगे। 17 नवंबर की इस यात्रा के दौराम पीएम मोदी मालदीव की सरकार के साथ रुकी हुई परियोजनाओं को शुरू करने के बाबत बातचीत करेगी।

    रक्षा क्षेत्र सेे जुड़े प्रोजेक्ट को अब्दुल्ला यामीन की सरकार के दौरान रोक दिए गए थे। चीनी समर्थक यामीन ने भारत के साथ शुरू हुई कि परियोजनाओं को स्थागित कर दिया था। 17 नवंबर को मालदीव की सत्ता पर विपक्षी दल के नेता इब्राहिम सोलिह शपथ ग्रहण करेंगे।

    मालदीव की नई सरकार भारत से जुड़े हितों को लेकर चिंतनीय है। इस यात्रा के दौरान मॉडिग भारत को सैन्य बेस स्थापित करने की अनुमति दे सकता है। भारत और मालदीव की रक्षा फौज अधिकतर समुंद्री क्षेत्र पर अधिकार जमाना चाहती है।

    अब्दुल्ला यामीन के राज में उन्होने मालदीव को भारत से दूर कर दिया था। उनके मुताबिक भारत मालदीव के लिए एकमात्र विकल्प नहीं था। पूर्व राष्ट्रपति की भारतीयों के वीजा ने बढ़ाने का निर्णय व वहां स्थित भारतीय कारीगरों ने मालदीव की जनता से रोजगार छीन लिए हैं।

    नरेंद्र मोदी वैश्विक विदेशी नेताओं की सूची में अधिक प्रसिद्ध व्यक्ति है। इब्राहिम सोलिह ने पीएम मोदी को फोन पर शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होने के लिए आमंत्रित किया था। इस शपथ ग्रहण समारोह मे श्रीलंका और बांगलादेश के दिग्गज नेता भी जुटेंगे। भारत को।उम्मीद है कि इब्राहिम सोलिह इसके बाद भारत की यात्रा पर आएंगे।

    मालदीव में हुए आम चुनावों में विपक्षी दल के नेता इमरान सोलिह ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को करारी शिकस्त दी थी। इस चुनावी परिणाम को अब्दुल्ला यामीन ने खारिज कर दिया था और अदालत में याचिका दायर की चुनावों में हेरा फेरी की गई थी। राष्ट्रपति ने कहा कि उनके समर्थकों ने चुनाव में हेरा फेरी की शिकायत की थी। हालांकि अदालत ने उनके आरोपो को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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