मालदीव की रक्षा मंत्री मारिया दीदी ने कहा कि देश को भारत के अलावा किसी अन्य देश के साथ करीबी सैन्य संबंध स्थापित करने की आवश्यकता नहीं हैं। मारिया दीदी ने अपनी भारतीय समकक्षी के साथ रुके हुए प्रोजेक्ट को बहाल करने पर बातचीत के दौरान यह बात कही थी। मालदीव की पहली रक्षा मंत्री मारिया दीदी अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर भारत आई हुई है। उन्होंने गुरुवार को भारतीय रक्षा मंत्री के साथ मुलाकात की थी।
गुरुवार को भारत-मालदीव रक्षा सहयोग पर दूसरे चरण की बातचीत हुई थी। पिछली सरकार में भारत और मालदीव के बीच काफी दूरियां बढ़ गयी थी। अब्दुल्ला यामीन का चीन की तरफ झुकाव ज्यादा था, वह भारत पहले की नीति की जगह चीन को तरजीह देते थे।
पत्रकारों से शुक्रवार को बातचीत करते हुए मारिया दीदी ने कहा कि भारत के साथ बातचीत करते हुए चीन और पाकिस्तान के बाबत कोई जिक्र नही हुआ था। उन्होंने कहा कि “भारत हमारी संप्रभुता की इज्जत करता है, वह अन्य देशों के साथ हमारे संबंधों के विषय मे बातचीत नही करता है। हम चिंतित है, यह काफी सुखद है कि हमारा करीबी दोस्त भारत है क्योंकि मुसीबत में वह हमेशा हमारी मदद करता है, जैसे 1988, साल 2004 में सुनामी और हालिया जल संकट में मदद की है।
उन्होंने कहा कि हमारा करीबी दोस्त भारत है और वह हमारी मदद जे लिए हमेशा तत्पर रहता है। इसलिए मालदीव को किसी अन्य देश के साथ सैन्य सहयोग की बिल्कुल जरूरत नहीं है। साल 2016 में भारत और मालदीव ने रक्षा सहयोग के एक्शन प्लान पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कई संयुक्त परियोजनाओं को लिया लेकिन बीते कुछ वर्षों में यह परियोजनाएं ठप पड़ गयी। भारत और मालदीव के रिश्ते बिगड़ने लगे थे।
मालदीव नेशनल डिफेंस फ़ोर्स के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल्ला शमाल ने कहा कि हमें मालदीव के लिए तटीय सुरक्षा सुविधाओं को बढ़ाने जरूरत है। अब्दुल्ला यामीन ने भारत को अपने तोहफे में दिए विमानों को वापस ले जाने को कहा था। हालांकि नई सरकार ने इस निर्णय को स्थगित कर दिया था।
गुरुवार को मारिया दीदी ने भारत का अपनी सरकार की तरफ से अभिवादन किया की भारत ने मुल्क को दो ध्रुव एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर दिए थे। साथ ही भारत इन विमानों के रखरखाव और पायलट का खर्चा उठा रहा है।
मारिया बीबी ने कहा कि “मुल्क की रक्षा फ़ोर्स का इन विमानों पर पूर्ण नियंत्रण हैं। मुझे भारतीय पायलटों से कोई चिंता नही है क्योंकि वे हमेशा मालदीव के नियंत्रण और कमांड में रहते हैं। हमें पायलट का शुक्रिया अदा करना चाहिए क्योंकि वह अपनी जान जोखिम में डालते हैं, खराब मौसम में भी उड़ान भरते हैं क्योंकि उन्हें खतरनाक द्वीपों पर फंसे मालदीव के नागरिकों को बचाना होता है और उन्हें अस्पताल पंहुचाना होता है।”