Thu. Dec 19th, 2024
    मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहीम सोलिह

    मालदीव पर राजनीतिक संकट के बादल छंटने के बाद 17 नवम्बर को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने देश के सबसे उच्च पद की शपथ ली थी। मीडिया इस शपथ ग्रहण समारोह को चीन की हार और भारत की जीत के चश्मे से देख रहा है। मालदीव के भारत को प्राथमिकता देने के कारण चीन ने अपनी बौखलाहट मीडिया के जरिये बयान की है।

    चीनी विश्लेषकों के मुताबिक मालदीव की भारत पहले की नीति उन्हें वापस नई दिल्ली पर आधारित देश बना देगी। हालांकि पीएम मोदी ने वादा किया है कि आगामी आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत मालदीव की हर संभव मदद करेगा।

    इब्राहीम सोलिह ने शनिवार को ऐलान किया था कि उनकी टीम चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना की समीक्षा करेगी। उन्होंने बताया कि चीन से विकास परियोजनाओं के लिए लिया गया कर्ज 1.5 बिलियन डॉलर का है, यह मालदीव की वार्षिक जीडीपी के एक-चौथाई से अधिक है।

    संघाई एकेडेमी के रिसर्च फेलो हु ज्हियोंग ने बताया कि चीन और मालदीव के रिश्ते इस वक्त पेचीदा हो रखे हैं। उन्होंने कहा कि मालदीव के इस कदम से बीआरआई परियोजना प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि अगर भारत हिन्द महासागर में चीन के दबदबे को खतरा समझना नहीं रोकेगा तो इससे भारत और चीन के सम्बन्ध भी ख़राब होंगे।

    हु ने कहा कि हिन्द महासागर में सामान सप्लाई करने के लिए मालदीव एक महत्वपूर्ण भाग है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति सोलिह की भारत से इतनी नजदीकी मालदीव को वापस नई दिल्ली के पीछे लाकर खड़ा कर देगी। मालदीव फिर से भारत पर आश्रित देश बन जायेगा। चीनी परियोजना के कसीदे पढ़ते हुए हु ने कहा कि मालदीव के कर्ज के लिए बीआरआई परियोजना के जिम्मेदार होने की खबरे गलत और अतार्किक हैं।

    उन्होंने कहा कि चीन की इस परियोजना का आर्थिक और राजनीति से कोई लेना देना नहीं है बल्कि इसका मकसद राष्ट्रों में विकास और उन्हें गरीबी के स्तर से उभारना है। हालांकि विश्व बैंक और आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक चीन विकासशील देशों को कर्ज की जाल में फंसकर अपना उद्देश्य की पूर्ती कर रहा है।

    चीन ने श्रीलंका और मलेशिया को कर्ज की जाल में फांसकर उनसे उनके बंदरगाह छीन लिए थे। श्रीलंका को बढ़ते कर्ज के कारण मजबूरन हाबंटोटा बंदरगाह 99 वर्ष की लीज पर चीन को देना पड़ा था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *