मालदीव की नवनिर्वाचित सरकार के सत्तासीन होने के बाद वहां आर्थिक विपदा का दौर शुरू हो गया है और मालदीव इस आपदा के समय अपने भरोसेमंद मित्र भारत से मदद की गुहार लगा रहा है। मालदीव के विदेश मन्त्री अब्दुल्ला शाहिद ने सोमवार को भारत के आला अधिकारियों से मुलाक़ात की थी। मालदीव के विदेश मन्त्री ने मीडिया से कहा कि पूर्व राष्ट्रपति की सरकार के दौरान लिए गए कर्ज का भी अांकलन जारी है। मालदीव की सरकार द्वारा बताये गए अनुमानित कर्ज चीनी सरकार के अनुमानित कर्ज से भिन्न है।
मालदीव के मुताबिक देश पर 70 प्रतिशत कर्ज चीन का है। अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत इस विपदा में हमारी हर संभव मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार स्वच्छता, साफ़ पानी और स्वास्थ्य विभाग में मालदीव की मदद को तत्पर है। अब्दुल्ला शाहिद सोमवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ मुलाकात करेंगे। मालदीव के राष्ट्रपति के आगामी भारत दौरे के बाबत भी वह बातचीत करेंगे।
मालदीव की कर्ज समस्या के बाबत विदेश मंत्री ने कहा कि मालदीव ने राज्य इंटरप्राइजेज सहित सभी को प्रभुत्व की गारंटी दे रखी है।
मालदीव के विदेश मंत्री इस यात्रा के बाद चीनी दौरेपर भी जायेंगे जो इंगित करता है, कि अब भी चीन मालदीव का महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार है। अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि अब्दुल्ला यामीन ने एक राष्ट्र के साथ रिश्ते को ताक पर रखकर खेल खेला है लेकिन हमारी सरकार के अनुसार चीन और भारत एक-दूसरे का स्थान नहीं ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों को प्राथमिकता जरुर देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशी ताकतों द्वारा सैन्य मकसद के लिए मालदीव की सरजमीं का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। भारत और मालदीव जल्द ही वीजा नीति को आसान करने के समझौते पर भी दस्तखत कर देंगे।
विदेश मंत्री ने कहा कि मालदीव की जनता से उनकी सरकार के वादों को पूरा करने में भारतीय सहायता अहम किरदार अदा करेगी। उन्होंने कहा कि इससे मालदीव असल में एक मध्य आय देश बन कर उभरेगा, सिर्फ कागजों पर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत हमारी प्राथमिकता बंदरगाहों के निर्माण में भी सहायता कर सकता है और मालदीव भारत के साथ मिलकर एक बेहतरीन ट्रांसपोर्ट नेटवर्क का निर्माण कर सकते हैं।