विदेश मन्त्री एस जयशंकर ने राष्ट्रमंडल में मालदीव को दोबारा शामिल करने के लिए को तीव्र करने की मांग की है। माले में साल 2016 में राजनीतिक संकट के कारण हिन्द महासागर देश इसे छोड़ दिया था। सितम्बर 2018 में मालदीव के हालात तब्दील हुए हैं, जब विपक्षी दावेदार इब्राहीम सोलिह ने राष्ट्रपति चुनावो को जीता था।
इस विकास का भारत ने स्वागत किया था। मालदीव पहला देश है जहां पीएम मोदी ने मई में दोबारा सत्ता सँभालने के बाद यात्रा की थी। 19 वें राष्ट्रमंडल की विदेश मंत्रियों की मुलाकात में जयशंकर ने मालदीव की दोबरा वापसी पर जल्द कार्य करने की मांग की थी।
इस बैठक में उन्होंने कहा कि “मोदी ने साल 2018 में जो भी वादे किये थे उस प्रक्रिया को करने का कार्य हम शुरू कर चुके हैं। इसका अधिकतर कार्य साल 2020 के अगले शिखर सम्मेलन से पूर्व पूरा हो जायेगा। मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहीम सोलिह ने राष्ट्रमंडल में दोबारा शरीक होने का आग्रह दिसम्बर में किया था।
दोबारा शामिल होने के लिए मालदीव को प्रदर्शित करना होगा कि वह सेक्रेटरी जनरल द्वारा तय राष्ट्रमंडल के आधारभूत मूल्यों का अनुपालन कर रहा है। इसके बाद सेक्रेटरी जनरल को सदस्य देशों के साथ इस पर चर्चा करनी होगी। अगर कोई समझौता बनता है तो मालदीव को एक अधिकारिक आमंत्रण दिया जायेगा।
मालदीव को लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के संचालन के सबूत और राष्ट्रमंडल में दोबारा शामिल होने के लिए समर्थन को प्रस्तुत करना होगा। मौजूदा राष्ट्रमंडल का अध्यक्ष ब्रिटेन है और मेजबानी भी उन्ही की है। विदेश मंत्रियों की बैठक में साल 2018 के आदेशों को अमल में लाने की समीक्षा और साल 2020 में अगले वर्ष जून में किगाली में आयोजित बैठक के बाबत चर्चा की गयी थी।
भारतीय उच्चायोग ने गुरूवार को एक बयान जारी कर कहा कि “मन्त्रिय स्तरीय बैठक में भारत की भागीदारी भारत के राष्ट्रमंडल से जुड़े होने की महत्वता को दोहराता है।” जयशंकर ने विदेश सचिव जेरेमी हंट के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। साथ ही उन्होंने मोदी की पहल को समर्थन करने के लिए ब्रितानी सरकार को शुक्रिया कहा था।
जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और बांग्लादेश के विदेश मन्त्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। साथ ही सांसदी और थिंक-टैंक के सदस्यों के साथ यात्रा के दौरान बातचीत की थी।