मालदीव के मुख्य चुनाव आयुक्त अहमद शरीफ ने बुधवार को बयान दिया कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने चुनाव के नतीजों को सार्वजनिक करने में देरी करने की मोहलत मांगी है।
मालदीव की मीडिया के मुताबिक राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन विपक्षी दलों के साझे उम्मेदवार इब्राहीम सोलिह से चुनाव हार चुके हैं।
चुनाव आयुक्त शरीफ ने बताया कि प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव ने चुनाव आयोग के समक्ष कुछ चिंतित मसले उठाये हैं और अभी नतीजे न घोषित करने का आग्रह किया है।
शरीफ ने कहा कानूनी तौर पर नतीजे घोषित करने की अंतिम समयसीमा रविवार की थी लेकिन चुनाव आयोग ने पीपीएम के अनुरोध पर अभी तक परिणाम का ऐलान नहीं किया है।
उन्होंने कहा आयोग ने अभी दर्ज हुई शिकायतों के बारे में विवरण नहीं दिया है लेकिन धोखाधड़ी के आरोपों को वह समझते हैं।
विपक्षी दलों के बने गठबंधन ने कहा कि सत्ता में बने कि यह अब्दुल्ला यामीन की चाल हैं। वह राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार स्वीकार करने से कतरा रहे हैं। विपक्षी दलों के प्रवक्ता अहमद मेह्लूफ़ ने कहा कि अब्दुल्ला यामीन पुलिस को अपने पक्ष में करके इंटेलिजेंस रिपोर्ट में चुनाव में धांधली की बात को साबित कर देंगे।उन्होंने कहा चुनाव को स्वीकार करने के बाद वह चाल चल रहे है।
रविवार को हुए चुनाव के मुताबिक राष्ट्रपति अब्दुला यामीन विपक्ष के गठबंधन के उम्मीदवार इब्राहिम सोलिह से मुकाबला हार गये थे। राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने सोमवार को बयान दिया था कि अब्दुल्ला यामीन ने चुनाव के नतीजों को स्वीकार कर लिया है। वह अपने कार्यकाल के अंतिम दिन 17 नवम्बर को सत्ता को त्याग देंगे।
इस चुनाव के नतीजे कई विपक्षी दलों के लिए हैरतंगेज़ थे क्योंकि विपक्षियों ने आरोप लगाया था चुनाव प्रक्रिया में धांधली हो सकती है।
दशकों तक निरंकुशता का शासन झेलने के बाद मालदीव साल 2008 में बहुदलीय लोकतान्त्रिक देश बन गया था। वर्ष 2013 में अब्दुल्ला यामीन के राष्ट्रपति बनने से मालदीव ने कई लोकतान्त्रिक अधिकार खो दिए थे।
उन्होंने अपने विरोधियों को कैद में डाल दिया या देश छोड़कर जाने पर मजबूर कर दिया। अब्दुल्ला यामीन ने अपनी ताक़त का इस्तेमाल अदालत, नौकरशाही, पुलिस और सेना को नियंत्रित करने के लिए भी किया।