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चीन और मालदीव

मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की विराट चुनावी जीत कही आर्थिक संकट के बादलों से न घिर जाए। चीन की पीठ पर सवार रहने के कारण मालदीव की अर्थव्यवस्था की सेहत खराब हो सकती है।

राष्ट्रपति यामीन के सत्त्ता पर विराजमान होने के बाद मालदीव और चीन की बीच निकटता बढ़ी है।

चीन ने मालदीव में सड़क, पूल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पैंठ बढ़ाने के लिए बेल्ट और रोड इनिशिएटिव के तहत हवाईअड्डों के निर्माण में निवेश किया है।

इस प्रोजेक्ट के तहत चीन ने 70 देशों में आधारभूत संरचनाओं पर निवेश किया है। चीन ने हाल ही में कर्ज के जाल में फंसाकर पड़ोसी देश से हंबनटोटा बंदरगाह हथिया लिया था लिहाजा अन्य राष्ट्रों भी इसका भय सता रहा है। हालांकि चीन इन आरोपों को नकारता रहा है।

अब्दुल यामीन दूसरी दफा मालदीव की सत्ता पर काबिज हुए हैं। यामीन के विरोधी आतंकवाद में लिप्त होने और देशद्रोह के मामले मेंजेल हो गयी थी। फिलहाल विरोधी नशीद विदेश में हैं।

वांशिगटन की रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी है ऐसे में कर्ज को लेकर परेशान होना लाजिमी है।

मालदीव बीआरआई के सभी देशों से अधिक रिस्क जोन में है। मालदीव पीकर 1.3 बिलियन चीनी कर्ज़ है जो उसकी सकल घरेलू उत्पाद का चार गुना है। देश से बेदखल मोहम्मद नशीद ने बताया कि यह कर्ज़ 2.5 बिलियन से अधिक हो सकता है।

रेटिंग एजेंसी मूडी और फिच ने भी बुनयादी ढांचे पर लगायी जा रही लागत को लेकर चिंता व्यक्त की है। रेटिंग एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि इतने विशाल स्तर पर चलाए जा रहे प्रोजेक्ट के कारण मालदीव कर्ज के नीचे दब जाएगा । फिच एजेंसी ने गत मई में बढ़ रहे कर्ज को खतरा बताया था।

राजनीतिक संकट

मालदीव की अर्थव्यवस्था प्रति वर्ष 6 फीसदी दर से बढ़ती है।

बीते वर्ष जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने जेल में कैद राजनैतिक हस्तियों को रिहा करने को कहा था तो राष्ट्रपति यामीन ने आपातकाल लगा दिया था।

इस कारण चीन और अमेरिका जैसे कई देशों ने मालदीव की यात्रा पर न जाने की चेतावनी दी थी। इससे मालदीव की अर्थव्यवस्था चरमरा गई। हालांकि इस राजनैतिक अस्थिरता का खास प्रभाव नही हुआ। रेटिंग एजेंसी के अनुसार मालदीव को उधारी चुकाने के लिए काबिल होना होगा। इससे पहले की ये कर्ज़ बकाया राशि मे तब्दील हो जाये।

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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