भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के मुद्दे पर वाकयुद्ध की गवाह मालदीव की संसद रही थी। इस्लामाबाद ने संसद में जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने का मामला उठाने की कोशिश की थी और भारत ने इसे तत्काल खारिज कर दिया और कहा यह भारत का आंतरिक मामला है।
इस शिखर सममेलन का आयोजन अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव के संसदों के सभापतियों के लिए आयोजित किया गया था। भारत का प्रतिनिधित्व राज्य के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह और लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला कर रहे थे।
दो दिवसीय सम्मेलन के तीन सत्रों के दौरान समान पारिश्रमिक और युवाओं के लिए रोजगार सृजन को बढ़ावा देना, एशिया प्रशांत क्षेत्र में मातृ शिशु व किशोरों के लिए स्वास्थ्य के सहायक के रूप में पोषण और पर्यावरण परिवर्तन संबंधी वैश्विक एजेंडे को बढ़ावा देना जैसे विषयों पर चर्चा हुई थी।
पाकिस्तान की संसद के उप सभापति कासिम सूरी ने कश्मीर मामले को उठाते हुए कहा कि हम कश्मीर की स्थिति को नजरंदाज़ नहीं कर सकते हैं जो अत्याचार झेल रहे हैं। वह अन्याय का सामना कर रहे हैं। इस पर आपत्ति दर्ज करते हुए हरिवंश ने पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए कहा कि अपने नागरिकों पर जुल्म करने वाला देश मानवाधिकार की नसीहत ना दे।
हरिवंश ने कहा कि “हम भारत के आंतरिक विषय को यहां उठाए जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हैं। इस सम्मेलन के मुख्य विषय के दायरे से बाहर के मुद्दे उठाकर इस मंच को राजनीतिक रंग दिए जाने को भी हम खारिज करते हैं। पाकिस्तान के लिए जरूरी है कि वो सीमा पार आतंकवाद को सभी तरह का राजकीय समर्थन देना क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा के हित में बंद करे।
सिंह के जवाब में पाकिस्तानी सांसद कुरातुलैन मर्री ने कहा कि “युवाओं और महिलाओं के लिए एसडीजी बगैर मानवाधिकार के कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है।” इस समेलन के अध्यक्ष मोहम्मद नशीद ने बीच में टोकते हुए कहा कि इस फोरम में सिर्फ एसडीजी के बाबत चर्चा की जाएगी।
मर्री ने मालदीव के अध्यक्ष मोहम्मद नशीद को फिर टोका और बहस का दौर जारी रहा। जम्मू कश्मीर के मामले पर पाकिस्तान ने कई देशो से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस, फ्रांस के राष्ट्रपति और जॉर्डन के राजा से फ़ोन पर मदद मांगी है।