मालदीव की उच्च अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को नज़रबंद कैद से रिहा करने के आदेश दिए हैं। मीडिया के मुताबिक, अब्दुल्ला यामीन पर गवाहों से छेड़छाड़ करने के खिलाफ सबूतों की कमी है।
रायटर्स के मुताबिक, अब्दुल्ला यामीन को फरवरी में गिरफ्तार किया गया था जब आपराधिक अदालत ने उनके खिलाफ चल रहे धनशोधन मामले में यामीन को हिरासत में लेने का आदेश दिया था।
अभियोजन पक्ष ने अब्दुल्ला यामीन को हिरासत में लेने की अदालत से गुजारिश की थी ताकि वह अपने खिलाफ गवाहों को प्रभावित न कर सके। मालदीव की उच्च अदालत ने कहा कि “अब्दुल्ला यामीन को एक माह से अधिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता था। साथ ही अभियोजन पक्ष ने हिरासत में उसकी रिमांड बढ़ाने से सम्बंधित कोई ख़ास सबूत पेश नहीं किये हैं।”
रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति की सेहत के कारण उन्हें जेल न ले जाकर घर में ही नज़रबंद रखा गया था। पूर्व राष्ट्रपति धनशोधन मामले के आरोपों को झेल रहे हैं। अदालत ने यामीन के 65 लाख डॉलर के बैंक खातों को फ्रीज़ कर दिया है। अब्दुल्ला यामीन किसी भी कुकृत्य के आरोपों को नकारते हैं और इन आरोपों के खिलाफ उन्होंने याचिका भी दायर की है।
पूर्व राष्ट्रपति पर 1.5 अरब डॉलर के धनशोधन के आरोप लगे हैं। मालदीव मीडिया नें बताया, एक समझौते में पूर्व राष्ट्रपति ने एक द्वीप में पर्यटकों के लिए रेसॉर्ट के निर्माण के लिए किराए पर दिया था और उनके बैंक में 10 लाख डॉलर की राशि भेजीं गयी थी।
साल 2014 के हवाला कानून के तहत अपराधी को 15 वर्ष तक की सज़ा हो सकती है और 64850 रूपए टक्का जुर्माना लगाया जा सकता है। पूर्व राष्ट्रपति पर अपने चुनाव प्रचार ने दौरान अवैध तरीके से 15 लाख लेने के आरोप है। देश के मौद्रिक विभाग ने इस अवैध अनुदान के खिलाफ पुलिस में एक शिकायत दर्ज की थी।