मालदीव में सत्ता की खींचातानी के बीच राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने हालिया चुनाव में हार को अस्वीकार करते हुए अदालत में चुनावों में धांधली की याचिका दायर की है।
पार्टी के कानूनी प्रतिनिधि ने बताया कि राष्ट्रपति यामीन के समर्थकों ने चुनाव में हेराफेरी की असंख्य शिकायते दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कार्यकर्ताओं के अधिकार के लिए कानून का सहारा लेंगे।
शीर्ष अदालत के याचिका को स्वीकार करने पर अभी संशय बना हुआ है। अलबत्ता यह चुनाव इब्राहिम सोलह के समर्थकों के लिए झटका है।
अब्दुल्ला यामीन ने चुनाव में हार के बाद जनता के फैसले का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था उन्हें अवाम का निर्णय मंज़ूर है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लेकर भारत, अमेरिका ने इस चुनावी परिणामों का स्वागत किया था।
विपक्षी गठबंधन ने राष्ट्रपति यामीन पर आरोप लगाया था कि सत्ता पर काबिज रहने के लिए वह चाल चल रहे हैं। उन्हें जनता के फैसले को स्वीकारते हुए सत्ता का हस्तांतरण कर देना चाहिए।
निष्पक्ष चुनाव?
चुनाव आयोग ने हेराफेरी के आरोपों को खारिज किया था। चुनाव आयोग के अधिकारियों को राष्ट्रपति यामीन के समर्थक धमकी दे रहे थे। आयोग प्रवक्ता ने बताया कि अब्दुल्ला यामीन अदालत का रुख करना चाहते हैं तो आयोग ने भी मुकदमा लड़ने के लिए कमर कस ली है। यह पूर्णतः निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव थे।
इब्राहिम सोलिह के दल की प्रवक्ता मरिया दीदी ने बताया कि मालदीव के जनता ने मतदान के जरिये अपना फैसला सुनाया है। सभी सियासी दलों को उनके आखिरी फैसले को स्वीकार करना चाहिए।
विपक्षी दल के नेता ने बताया कि कोलंबो में निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद 1 नवंबर को मालदीव वापस लौटने के बाद उनके ऊपर लगा फरार का टैग हटा लिया जायेगा।
पिछले सप्ताह जेल में कैद पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम और उनके पुत्र को अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया था। मालदीव में फरवरी माह से राजनीतिक अनुशासनहीनता बरती जा रही है। मालदीव की शीर्ष अदालत ने मोहम्मद नशीद समेत 9 अन्य मंत्रियों को रिहा करने का आदेश सुनाया था। अब्दुल गयूम ने अदालत के इस फैसले की अवमानना कर देश में 45 दिनों के आपातकाल की घोषणा कर दी थी।