मालदीव चुनाव में विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार इब्राहिम सोलिह की हैरतअंगेज़ जीत के बाद मालदीव अन्य राष्ट्रों के साथ दोबारा संबंधो को धार देने कोशिश में जुट गया है।
इब्राहिम सोलिह ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को चुनाव में सत्ता से बेदखल कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में बयान दिया कि मालदीव में लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की अब कोई कोशिश नहीं होनी चाहिए।
मालदीव के राज्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका और हमारे सहयोगियों का लोकतंत्र के प्रति चिंता सराहनीय है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने चुनाव के दौरान मालदीव में लोकतंत्र और नियम-कानून को बाँधने वाले और मुक्त व निष्पक्ष चुनाव में बाधा पहुंचाने वालों पर कड़ी निगरानी रखी थी।
प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने अभी तक मालदीव में किसी वरिष्ठ अधिकारी को नहीं भेजा है। हालाँकि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने इब्राहिम सोलिह को फोन पर जीत की बधाई दी थी।
गत वर्ष राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में 45 दिन के आपातकाल की घोषणा की थी। राष्ट्रपति के इस कदम से मालदीव के लोकतंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ा था साथ ही अब्दुल्ला यामीन ने शीर्ष अदालत की अवमानना कर कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाई थी।
यूरोप ने भी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह को चुनाव में जीत की बधाई दी थी। जर्मन विदेश विभाग ने के इब्राहिम सोलिह को राष्ट्रपति चुनाव में जीत की बधाई दी।
मालदीव की ख़बरों के मुताबिक अब्दुल्ला यामीन सत्ता के हस्तांतरण के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने चुनाव आयोग से नतीजों को घोषित करने में विलंब का आग्रह किया था। साथ ही विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने सत्ता पर काबिज रहने के लिए पुलिस और सेना का इस्तेमाल किया।
हाल ही में अब्दुल्ला यामीन ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाए थे। इसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। शीर्ष अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली है। राष्ट्रपति का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो जाएगा।