उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बसपा प्रमुख मायावती पर चुनाव आयोग के द्वारा 48 घंटे प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मायावती ने कहा, चुनाव आयोग द्वारा प्रतिबंधित किया जाना लोकतंत्र की हत्या हैं और उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने किसी तरह के दवाब में आकर जल्दबाजी में फैसला लिया हैं। उन्होंने कहा चुनाव आयोग ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी को नफरत फैलाने की खुली आजादी दी हुई हैं।
बसपा प्रमुख मायावती को मंगलवार और बुधवार को चुनाव प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया गया हैं। पिछले हफ्तें, सहारनपुर के देवबंद में एक रैली के दौरान मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं को वोट न बांट ने को कहा था और गठबंधन के पक्ष में वोट करने को कहा था।
आदेश में आयोग के अनुसार चुनाव प्रचार के दौरान आचार सहिंता का उल्लघंन हुआ हैं।
इस पर मायावती ने कहा, कि मैं यह साफ कर देना चाहती हूं कि मैं किसी की जाति या पंथ के आधार पर वोट की मांग नही की हैं। मैं बस मुसलमानों से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि वह अपने वोट को बंटने न दे। मैं यह कहना चाहती हूं कि मैंने किसी भी धर्म के खिलाफ कोई टिप्पणी नही की, कोई माहौल खराब करने वाली टिप्पणी नही की।चुनाव आयोग को यह सब देखना चाहिए।
बता दें मायावती 2019 के लोकसभा चुनाव नही लड़ रही हैं, वह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और अजीत सिंह के साथ गठबंधन का विस्तार कर रही हैं।
चुनाव आयोग के द्वारा प्रतिबंधन लगाए जाने के बाद मायावती मंगलवार को आगरा में होने वाली रैली को संबोधित नही कर सकेगी। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 8 सीटों पर 18 अप्रैल को चुनाव होने हैं।
चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आजम खान पर 72 घंटों के लिए चुनाव प्रचार पर रोक लगाई हैं, तो वही बसपा सुप्रीमों और भाजपा नेता मेनका गांधी पर 48 घंटों के लिए रौक लगाई हैं।
बता दें, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए कहा था, कि आयोग अब तक सिर्फ नोटिस ही जारी कर रहा हैं। इस पर सख्त कार्यवाई की जाए। इस के बाद चुनाव आयोग ने बड़ी कार्यवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ साथ तमाम बड़े नेताओं केचुनाव प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया।