Sat. Dec 21st, 2024

    संसद का बहुप्रतीक्षित मानसून सत्र सोमवार यानी 19 जुलाई से शुरू हो रहा है और 13 अगस्त तक चलेगा। इसमें सरकार का फोकस ज्यादा से ज्यादा कामकाज करने पर होगा। इसी क्रम में ठीक एक दिन पहले रविवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और पीएम मोदी ने विभि‍न्‍न दलों के नेताओं के साथ बैठक की। बैठक के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद के इस सत्र में कुल 19 बैठकें होंगी। संसद की कार्यवाही के दौरान कोरोना नियमों का पालन होगा। मेरी सभी पार्टियों के साथ चर्चा हुई। संसद में विभिन्न मुद्दों पर सार्थक और सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए। इस सत्र में छोटे दलों को भी पर्याप्त समय दिया जाएगा।

    स्वस्थ बहस के लिए तैयार

    इस सत्र में सरकार द्वारा वित्त से संबंधित दो सहित 31 विधेयकों पर विचार किए जाने की संभावना है।लोकसभा अध्‍यक्ष की ओर से बुलाई गई बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में सरकार ने साफ किया कि वह संसद में स्वस्थ और उपयोगी प्रत्येक बहस के लिए तैयार है। संसदीय नियमों और प्रक्रियाओं के तहत कोई मुद्दा उठाया जाता है तो सरकार कोई आपत्ति नहीं है। बैठक में पीएम मोदी ने संसद के कामकाज के सुचारू संचालन और उक्‍त कानूनों को पारित कराने के लिए सभी दलों से सहयोग मांगा।

    विपक्ष ने भी कड़ी घेराबंदी की बनाई रणनीति

    मानसून सत्र को लेकर कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। इससे साफ है कि सत्र के शुरुआती दिन हंगामेदार होंगे। फिलहाल विपक्ष जिन मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है, उनमें कोरोना की दूसरी लहर के कुप्रबंधन, वैक्सीन की कमी, पेट्रोल-डीजल और घरेलू गैस की कीमतों में बढ़ोतरी और कृषि कानून विरोधी आंदोलन जैसे मुद्दे शामिल हैं। वहीं, सत्ता पक्ष भी बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं और उत्तर प्रदेश में सामने आए मतांतरण जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग कर सकता है।

    ये विधेयक होंगे पेश

    ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) विधेयक, डीएनए टेक्नोलॉजी विधेयक, डेटा प्रोटेकशन विधेयक, दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण (संशोधन) विधेयक, फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक, 2020, इसेंशियल डिफेंस सर्विस बिल, बिजली (संशोधन) विधेयक, व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग विधेयक, कोयला असर वाले क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) संशोधन विधेयक, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स और कंपनी सेक्रेटरीज़ (संशोधन) विधेयक, केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक और भारतीय वन प्रबंधन संस्थान विधेयक।

    आज होगा फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2020 पेश

    केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में फैक्टरिंग रेगुलेशन(संशोधन) विधेयक, 2020 पेश करेंगी। यह बिल फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट, 2011 में संशोधन करता है और फैक्टरिंग बिजनेस करने वाली एंटिटीज़ के दायरे को बढ़ाता है। फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट, 2011 के अंतर्गत फैक्टरिंग बिजनेस एक ऐसा बिजनेस होता है जिसमें एक एंटिटी (जिसे फैक्टर कहा जाता है) दूसरी एंटिटी (जिसे एसाइनर कहा जाता है) के रिसिवेबल्स को एक राशि के बदले हासिल करती है।

    रिसिवेबल्स वह कुल राशि होती है जोकि किसी वस्तु, सेवा या सुविधा के उपयोग के लिए ग्राहकों (जिन्हें ऋणी कहा जाता है) पर बकाया होती है या उनके द्वारा जिसका भुगतान बाकी होता है। फैक्टर बैंक, एक रजिस्टर्ड नॉन बैंकिंग फाइनांशियल कंपनी या कंपनी एक्ट के अंतर्गत रजिस्टर कंपनी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि रिसिवेबल्स की सिक्योरिटी के बदले बैंक द्वारा ऋण सुविधा प्रदान करना फैक्टरिंग बिजनेस नहीं माना जाता।

    एक्ट कहता है कि रिसिवेबल्स (पूरा, उसका एक अंश या अविभाजित हित) ऐसी मौद्रिक रकम होती है जोकि कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत किसी व्यक्ति का अधिकार होता है। यह अधिकार मौजूदा हो सकता है, भविष्य में उत्पन्न हो सकता है या किसी सेवा, सुविधा या अन्य के उपयोग से आकस्मिक रूप से उत्पन्न हो सकता है)। बिल इस परिभाषा में परिवर्तन करता है और कहता है कि रिसिवेबल्स का अर्थ ऐसा धन है जो किसी देनदार द्वारा टोल के लिए अथवा किसी सुविधा या सेवाओं के उपयोग के लिए किसी एसाइनर को चुकाया जाना है।

    सोनिया गांधी ने मानसून सत्र से पहले संसदीय टीम का किया पुनर्गठन

    मानसून सत्र से ठीक एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के संसदीय टीम का पुनर्गठन किया है। इसमें पार्टी नेतृत्व के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले ‘जी-23’ नेताओं को भी जगह दी गई है। यह फैसला कामकाज को सुविधाजनक और प्रभावी संचालन के लिए लिया गया है।

    पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में पार्टी के नेता बने रहेंगे जबकि असम के पूर्व सीएम दिवंगत तरुण गोगोई के पुत्र गौरव गोगोई सदन के उपनेता के रूप में बने रहेंगे। के. सुरेश मुख्य सचेतक और रवनीत सिंह बिट्टू और मानिककाम टैगोर लोकसभा में पार्टी के सचेतक होंगे। असंतुष्ट गुट ‘जी-23’ के मनीष तिवारी और शशि थरूर को लोकसभा में सात सदस्यीय समूह का हिस्सा बनाया गया है।

    वहीं, राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे सदन के नेता होंगे जबकि एक अन्य असंतुष्ट नेता आनंद शर्मा को उपनेता बनाया गया है। जयराम रमेश को उच्च सदन में मुख्य सचेतक बनाया गया है जबकि अंबिका सोनी, पी. चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और केसी वेणुगोपाल सचेतक बनाए गए हैं। संसद का मानसून सत्र सोमवार कसे शुरू हो रहा है।

    सोनिया गांधी की तरफ से एक बयान में कहा गया है कि ये संसदीय समूह संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन मिलेंगे और जहां संसद के मुद्दों का संबंध है, अंतर सत्र अवधि के दौरान भी बैठक कर सकते हैं। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर इन समूहों की संयुक्त बैठकें भी की जा सकती हैं और मल्लिकार्जुन खरगे संयुक्त बैठकों के संयोजक होंगे। सत्र में कांग्रेस बढ़ती महंगाई, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों के साथ-साथ कोरोना महामारी के दौरान सरकार की विफलता को लेकर मोदी सरकार को घेरेगी।

    सोनिया ने पार्टी सांसदों को सभी मुद्दों को संसद में प्रमुखता से उठाने को कहा

    कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को पार्टी के लोकसभा सांसदों की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें किसान आंदोलन, पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों तथा कोविड-19के ‘खराब प्रबंधन’ जैसे मुद्दों को जोर-शोर से संसद में उठाने का निर्णय लिया।

    संसद के मॉनसून सत्र के पहले पार्टी नेताओं ने कहा कि पार्टी के सांसद इन मुद्दों पर चर्चा की मांग के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार और आर्थिक स्थिति जैसे मुद्दों पर भी दोनों सदनों में चर्चा की जाएगी।

    कांग्रेस प्रमुख ने लोकसभा सांसदों के साथ ऑनलाइन आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए इन मुद्दों को मजबूती के साथ उठाने और सरकार को संसद में घेरने की सदस्यों से अपील की। उन्होंने कहा कि ये मुद्दे आम आदमी से जुड़े हैं,जो सरकार की नीतियों के कारण परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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