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    माइक पोम्पियो

    अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पियो ने अफगानिस्तान शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। वांशिगटन और तालिबान आखिरी दौर की वार्ता के बाद समझौते पर पंहुच गए हैं। अमेरिका ने अफगानी सरजमीं से 5400 सैनिको को वापस निकालेगा।

    अमेरिका और तालिबान के वार्ताकार समझौते पर पंहुच गए थे, क़तर की राजधानी दोहा में नौवे चरण की वार्ता हुई थी। इस समझौते के तहत अमेरिका ने अफगानिस्तान के पांच ठिकानों को 135 दिनों में भारी संख्या में सैनिको को वापस बुलाएगा।

    इस मामले के जानकार अधिकारीयों ने बताया कि यह समझौते कई महत्वपूर्ण चीजो को सुनिश्चित नहीं करता है। जैसे काबुल में अमेरिकी समर्थित सरकार, अमेरिकी आतंक विरोधी सेना की मौजूदगी की गारंटी ताकि अफगानिस्तान में अलकायदा से जंग लड़ी जा सके।

    एक अफगान अधिकारी ने ज़लमय खलीलजाद से साथ हुए समझौते के बाबत बताया कि “यह सब उम्मीद पर कायम है। यहाँ कोई विश्वास नहीं है। यहाँ भरोसे का कोई इतिहास नहीं है। यहाँ तालिबान से ईमानदारी और संजीदगी का कोई सबूत नहीं है। वे सोचते हैं कि वे अमेरिका को बेवक़ूफ़ बना देंगे लेकिन अमेरिका को लगता है कि तालिबान धोखा दे सकता हिया और इसकी बेहद बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।”

    इन महत्वपूर्ण तथ्यों पर अनिश्चितता के कारण माइक पोम्पियो ने इस समझौते पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया है। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद कहा कि “वह हस्ताक्षर तभी करेंगे जब इस समझौते को सभी पक्षों से मंज़ूरी मील जाएगी, इसमें डोनाल्ड ट्रम्प भी शामिल है और रक्षा सचिव के दस्तखत जरुरी हो तो वह कर देंगे।”

    अमेरिका और तालिबान के बीच बीते सप्ताहांत में शान्ति प्रस्ताव पर नौवे चरण की वार्ता वार्ता हुई थी। यह वार्ता अफगानी सरजमीं से हजारो सैनिको की वापसी पर केन्द्रित थी और इसके बदले तालिबान ने अफगानी सरजमीं पर आतंकवादी समूहों को पनाह न देने का संकल्प लिया है।

    टोलो न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में राजदूत खलीलजाद ने कहा कि “अगर तालिबान मसौदे समजौते की शर्तो पर खारा उतरता है तो  अफगानिस्तान में पांच ठिकानों से 135 दिनों में 5000 सैनिको की वापसी की जाएगी।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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