अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ की अगले सप्ताह भारत यात्रा के दौरान मौजूदा मतभेदों वाले मुद्दों मसलन, डाटा फ्लो, रूस से हथियार खरीदना, ईरानी तेल आयात और विश्व के दो लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक सम्बन्धो पर चर्चा पर फोकस किया जायेगा। अमेरिका के राज्य विभाग के अधिकारी ने यह जानकारी दी थी।
आला अधिकारी ने कहा कि “नई दिल्ली में सचिव पोम्पिओ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे। भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी के विस्तार के पीछे एक दूरदर्शी जयशंकर भी रहे हैं।” पोम्पिओ मंगलवार को वार्ता के लिए भारत पहुंचेंगे।
अधिकारी ने बताया कि “माइक पोम्पिओ का भारत आगमन का मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच ओसाका में आयोजित जी 20 में मुलाकात के लिए जमीन को तैयार करना होगा। वह जयशंकर के साथ विशेषकर सुरक्षा, ऊर्जा और अंतरिक्ष सहयोग और अन्य मुद्दों पर बातचीत करेंगे।”
उन्होंने कहा कि “सचिव इसके बाद भारतीय कारोबारी नेताओं से भारत-अमेरिका साझेदारी की अर्थव्यवस्था के डायमेंशन पर चर्चा करेंगे। वह नई दिल्ली में सभा को सम्बोधित करने की भी योजना बना रहे हैं। भारत का अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर विवाद चल रहा है। बैठक में चर्चा पर कारोबार महत्वपूर्ण मुद्दा होने वाला है।”
अधिकारी ने बताया कि “भारत ने एच-1 बी प्रोग्राम से अमेरिका की अर्थव्यवस्था में काफी योगदान दिया है और मेरे ख्याल से सचिव भारतीय नेतृत्व को आश्वस्त करने में सफल होंगे कि हमारी ऐसी कोई योजना नहीं है कि विदेशी कंपनियों से डाटा स्थानीय रखने वाले देशों के खिलाफ कुछ ऐसा किया जायेगा।”
भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए समझौता किया है और यह दोनों देशों के बीच तनाव का कारण है। यह कदम अमेरिका को भारत पर कासटा के तहत प्रतिबंधों को थोपने के लिए मज़बूर कर सकता है। उन्होंने कहा कि “रूस को विदेश मुद्रा सौंपना प्रतिबंधों को आमंत्रण हो सकता है इसलिए रूस के रक्षा विभाग से किसी भी समझौते को वर्जित रखे।”
इस यात्रा के दौरान ईरान पर प्रतिबंधों को लेकर बातचीत की जाएगी इसके साथ ही भारत की ऊर्जा सुरक्षा की चिंता पर चर्चा होगी। अधिकारी ने कहा कि “चाहबार बंदरगाह को प्रतिबंधों से अलग रखने के लिए हमने भारतीयों से बातचीत की थी। यह बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान तक मानवीय सहायता पंहुचाता है, यह एक अन्य क्षेत्र है जहां हमें भारत के साथ कार्य करने में सफलता प्राप्त हुई है।”
25 से 27 जून तक की यात्रा के दौरान वह एक प्रमुख सार्वजानिक भाषण देंगे, भारतीय युवाओं की अगली पीढ़ी को सम्बोधित करेंगे और मुश्किल मामलो जैसे आईटी कर्मचारियों के लिए एच-1 वीजा और डाटा स्थानीयकरण भारतीय योजना पर बातचीत करेंगे।