अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ 24 जून से तीन देशों की यात्रा की शुरुआत करेंगे। इसका मकसद साझा लक्ष्य मुक्त और खुला इंडो पैसिफिक होगा और क्षेत्र में आक्रमक चीन के बाबत चिंता है। वह सबसे पहले नई दिल्ली की यात्रा करेंगे। नरेंद्र मोदी के दूसरी दफा पीएम बनने के बाद अमेरिकी अधिकारी की यह पहली यात्रा होगी।
राज्य विभाग की प्रवक्ता मॉर्गन ओरटागुस ने कहा कि “मैं ऐलान करते हुए खुश हूँ कि पोम्पिओ इंडो पैसिफिक क्षेत्र की यात्रा 24 जून से 30 जून तक करेंगे। वह महत्वपूर्ण देशों के साथ हमारी साझेदारी को गहन और व्यापक करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हालिया चुनावो में जीत ने उन्हें मज़बूत और समृद्ध भारत के अपने नजरिये को लागू करने का बेहतर अवसर दिया है, जो वैश्विक मंच पर एक अहम किरदार निभाएगा।”
बुधवार को अमेरिकी सचिव भारत-अमेरिकी कारोबारी वार्षिक सम्मेलन को सम्बोधित करेंगे। पोम्पिओ ने पत्रकारों से कहा कि “मैं भारतीय कारोबारियों के एक समूह के साथ यात्रा की तैयारियों के बाबत बातचीत करूँगा। कुछ ही हफ्तों में मैं भारत की यात्रा के लिए रवाना होऊंगा जो डोनाल्ड ट्रम्प की इंडो पैसिफिक रणनीति का महत्वपूर्ण भाग है।
अमेरिका के राज्य सचिव के तौर पर माइक पोम्पिओ की यह दूसरी मुलाकात है। इससे पूर्व वह सितम्बर में 2+2 वार्ता के उद्धघाटन सत्र में भारत आये थे। उनके साथ रक्षा सचिव जेम्स मैटिस भी थे। श्रीलंका के बाद माइक पोम्पिओ श्रीलंका की यात्रा पर जायेंगे और उसके बाद जी-20 सम्मेलन में शिरकत के लिए जापान की यात्रा करेंगे।
जी-20 के आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करेंगे। इसके आलावा अमेरिकी और भारतीय अधिकारी सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय मुलाकात भी करेंगे। यह मुलाकात पहले नई दिल्ली और फिर ओसाका में होगी।
दोनों पक्ष रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को गहरा करना चाहते हैं इसमें भारत को रक्षा उपकरण बेचना और बढ़ते व्यापार तनाव पर बातचीत होगी। इस माह की शुरुआत में भारत से व्यापार तरजीह देश का दर्जा छीन लिया था जिसके तहत भारत ने साल 2018 में छह अरब डॉलर के उत्पाद बगैर किसी शुल्क के निर्यात किया थे।
ट्रम्प प्रशासन अपने मेडिकल यंत्रों और डेयरी उत्पादों के लिए भारत के बाज़ारो को खोलने की कोशिश में जुटा हुआ है। सोमवार को राष्ट्रपति ट्रम्प ने उच्च भारतीय शुल्कों के लिए शिकायत की थी। उन्होंने भारत को शुल्क का बादशाह भी करार दिया था।