सबसे पहले पुरूष निवेशकों के बीच अपने स्टार्टअप के लिए महिलाओं को निवेश जुटाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वैज्ञानिकों ने सर्च में पाया कि अधिकतर निवेशक पुरूषों के स्टार्टअप में निवेश करना पसंद करते हैं। जबकि इसके ठीक विपरीत महिलाओं को तकनीकी एन्टरप्रेन्योर से बाहर ही रखा जाता है।
अमेरिका के कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर माइकल इवेन्स के अनुसार पुरूष समकक्षों की तुलना में महिलाओं के साथ एक अलग तरह का ही व्यवहार किया जाता है। वहीं कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक अमेरिका के सैन डिएगो में करीब 90 फीसदी पूंजीपति केवल पुरूषों को ही अपने नए कारोबार का हिस्सा बनाते हैं।
इस प्रकार महिला उद्यमियों के सामने “मुर्गी और अंडा” वाली स्थिति पैदा हो जाती है। एक स्टडी के मुताबिक पुरूषों की तुलना में महिलाओं के स्टार्टअप को कम फंडिंग दी जाती है। विभिन्न साइटों जैसे फेसबुक और ट्विटर से मिली जानकारी के अनुसार पुरूष नेतृत्व वाली कंपनियों की तुलना में महिलाओं के स्टार्टअप को धननिवेश की संभावना आधी है।
एन्जिल्स्टि पर फंडिंग की मांग करने वाली कुल 16 फीसदी महिलाओं को केवल 13.5 फीसदी कंपनियों ने ही फंडिंग प्रदान की।
हांलाकि शोधकर्ताओं ने ये बात स्पष्ट नहीं की है कि आखिर निवेशक महिलाओं की तुलना में पुरूष द्वारा स्थापित स्टार्टअप को ही ज्यादा फंडिंग क्यों करते हैं।
कुछ आंकड़ों से पता चला है कि महिलाओं द्वारा स्टार्ट की गई कंपनियां पुरूष निवेशकों के लिए कम जरूरी दिखीं। जबकि ठीक इसके विपरीत महिला निवेशक महिलाओं के स्टार्टअप को ही ज्यादा पसंद करती हैं।
जबकि शोधकर्ताओं ने यह प्रमाण दिया है कि महिलाओं की तुलना में पुरूषों द्वारा शुरू किए गए स्टार्टअप ने सबसे खराब परफॉर्म किया है। जबकि इसके विपरीत महिला-पुरूष जोड़ों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।
एक अन्य शौध के मुताबिक महिलाओं द्वारा शुरू किये कारोबारों को पुरुषों के मुकाबले 33 फीसदी कम निवेश मिलता है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि महिलाओं द्वारा कंपनी चलाने को लेकर निवेशक भरोसेमंद नहीं हैं। लोगों को अभी भी लगता है कि महिलाएं कंपनी का नेतृत्व नहीं कर सकती है।