यह बराबरी का दर्जा देने वाले समाज के लिए खुशखबरी है कि अब वैश्विक लिंग अन्तर में सुधार हुआ है। महिलाओं और पुरुषों के मध्य आरती मौके, दोनों के तन्खवाह में अंतर अब कम होने लगा है। वैश्विक आर्थिक मंच ने कहा कि इस खाई को पाटने में 202 सालों का समय लगा है।
इस वर्ष की ग्लोबल जेंडर गैप की रिपोर्ट को मंगलवार को जारी किया गया है। इस समूह ने महिलाओं और पुरूषों के समानता पर आंकड़े एकत्रित कर इस रिपोर्ट को तैयार किया है। रिपोर्ट के मुताबिक औसतन लिंग भेदभाव का ग्राफ राजनीति, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में 0.1 फीसदी सुधरा है। नतीजतन बराबरी तक पहुँचने के लिए अभी 108 वर्ष का समय लगेगा।
बीते वर्ष के आंकड़ों की तुलना में इस साल के आंकड़े बेहतर हैं, महिलाओं और पुरुषों के मध्य उपलब्धियों का अंतर और बराबरी का अन्तर एक दशक के बाद कम होता दिखा है।
यूएन वीमेन की क्षेत्रीय निदेशक एना करीन जात्फोर्स ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हमारे पास एक ऐसा देश भी नहीं है, जिसने लिंग समानता के लक्ष्य को हासिल किया हो। उन्होंने कहा कि लिंग भेदभाव दुनिया का असल चेहरा है, हम दुनिया में महिलाओं के रहने के तरीकों के सभी पहलुओं को देख चुके हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक बराबरी के लिए महिलाओं को अभी 202 सालों का और इंतज़ार करना होगा।
उन्होंने कहा कि समान तनख्वाह से संबंधित योजना लाकर सरकार इसमें सुधार के सकती है और महिलाओं को गर्भधारण के दौरान नौकरी के संरक्षण की कानूनी गारंटी देकर इस खाई को कम कर सकती है।
डब्लूईएफ ने कहा कि बीते साल की तुलना में इस वर्ष आर्थिक भागीदारी और अवसरों में बेहद कम सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि इसमें मिडिल ईस्ट और नार्थ अफ्रीका का सबसे ख़राब प्रदर्शन है। उन्होंने कहा कि विश्व में केवल 34 फीसदी महिलायें ही मेनेजर हैं, इनके भुगतान में 63 फीसदी का अंतर है।
इस सूची में 10 सालों की तरह इस बार भी आइसलैंड शीर्ष क्रम में है। आइसलैंड राजनीतिक सशक्तिकरण में भी शीर्ष पर है। महिला नेताओं की सूची में न्यूजीलैंड को सातवाँ और ब्रिटेन को 15 वां स्थान मिला है। एशिया में फ़िलीपीन्स को ग्लोबल इंडेक्स में आठवां पायदान मिला है। फ़िलीपीन्स ने शिक्षा, राजनीतिक और आय बराबरी में सुधार किया है। इस सूची में लाओस को 26, सिंगापुर को 67 वां और चीन को 103 वां स्थान मिला है।
रिपोर्ट के मुताबिक लिंग असंतुलन का एक अन्य क्षेत्र तैयार हो रहा है, अन्य क्षेत्रों के मुकाबले यह अंतर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में तीन गुना अधिक है।