महाराष्ट्र में सरकार के गठन के लिए गठबंधन का निर्णय करने को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सुरक्षित रास्ता चुना और यह फैसला सीडब्ल्यूसी के जरिए लिया।
कांग्रेस कार्यकारिणी (सीडब्ल्यूसी) राजनीति से संबंधित निर्णय लेने वाली कांग्रेस पार्टी का सर्वोच्च मंच है। सोनिया ने इसकी बैठक बुलाई, जहां उन्हें परामर्श प्रक्रिया के दौरान सामने आए राजनीतिक समीकरण से अवगत कराया गया।
महाराष्ट्र में कांग्रेस के सामने विचारधारा का एक कठिन सवाल है, लेकिन यहां सीडब्ल्यूसी ने राज्य में गठबंधन को प्रमुखता दी।
शिवसेना के साथ गठबंधन करने से कांग्रेस को अपनी विचारधारा से कही न कही समझौता करना पड़ा है। हिंदूवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर कई नेताओं ने पार्टी को चेताया।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि भविष्य में किसी भी इल्जाम से बचने के लिए सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी के माध्यम से फैसला कर सुरक्षित रास्ता चुना।
यह पहली बार नहीं है, जब सोनिया ने सीडब्ल्यूसी को विश्वास में लेकर तीन प्रतिनिधियों को मुंबई भेजा है। जब गठबंधन को लेकर महाराष्ट्र के नेताओं को बुलाया गया था, तब 11 नवंबर को भी सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई थी।
इसके अलावा पार्टी के सबसे बड़े निकाय ने इलेक्टोरल बांड के मुद्दे पर भी चर्चा की और मामले को संसद में ले जाने का फैसला किया। महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि इलेक्टोरल बांड एक रिश्वत है, जिसके माध्यम से सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा पहुंचा रहा है।