महाराष्ट्र में शनिवार को भाजपा ने राकांपा नेता अजीत पवार के समर्थन के साथ सरकार का गठन किया। जिसके बाद लगातार भाजपा और अजीत पवार विपक्ष के निशाने पर हैं। विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देने के लिए केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया।
30 साल पुरानी दोस्ती तोड़ने पर नहीं हुई लोकतंत्र की हत्या?
केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को यहां सवाल किया कि शिवसेना ने 30 साल पुरानी दोस्ती तोड़ी तब लोकतंत्र की हत्या नहीं हुई? जब अजित पवार के नेतृत्व में बड़ा तबका आकर देवेंद्र फडणवीस को समर्थन दे तो क्या लोकतंत्र की हत्या हो गई?
फडणवीस के सीएम बनने की संभावना की वजह से शिवसेना उम्मीदवार सफल हुए
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान, देवेंद्र फड़णवीस के नाम को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया गया था। भाजपा का समर्थन आधार और देवेंद्र फड़णवीस के सीएम बनने की संभावना ने शिवसेना उम्मीदवारों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
किसके इशारे पर उत्तेजक हुई शिवसेना?
उन्होंने कहा कि “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना के पक्ष में जनादेश था, लेकिन बड़ी पार्टी थी भाजपा और मुख्यमंत्री का जनादेश योग्य और ईमानदार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए था। भाजपा और शिवसेना ने जब बहुमत प्राप्त किया तो ये भाजपा गठबंधन की नैतिक और चुनावी विजय थी। मगर चुनाव परिणाम के बाद शिवसेना किसके इशारे पर उत्तेजक हो गई थी?”
तीनों दलों की पीछे के दरवाजे से मुंबई को नियंत्रित करने की साजिश
उन्होंने कहा कि मुंबई भारत की वित्तीय राजधानी है और महाराष्ट्र एक बड़ा राज्य है। यह पिछले दरवाजे के माध्यम से मुंबई को नियंत्रित करने के लिए एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस द्वारा रची गई एक साजिश थी। प्रसाद ने कहा, “शरद पवार और कांग्रेस ने परिणाम के बाद बयान दिया था कि हमें विपक्ष में बैठने का जनमत मिला है तो ये विपक्ष में बैठने का जनमत कुर्सी के लिए मैच फिक्सिंग कैसे हो गया?”
शिवसेना और राकांपा का कोई आवेदन राज्यपाल के पास अब तक नहीं था
उन्होंने राज्यपाल की भूमिका पर उठ रहे सवालों को खारिज करते हुए कहा, “राज्यपाल ने तीनों पार्टियों को बुलाया था। राकांपा और शिवसेना को बुलाया तो उन्होंने कहा कि और समय दीजिए। आज सुबह भाजपा और अजीत पवार के साथ राकांपा के बड़े तबके ने आवेदन दिया कि हमारे पास बहुमत है। क्या शिवसेना और राकांपा का कोई आवेदन राज्यपाल के पास अब तक था?”
आदरणीय बाला साहब ठाकरे के आर्देशों को जीवित नहीं रख सकी शिवसेना
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “कुछ लोग छत्रपति शिवाजी की विरासत की बात कर रहे हैं, उनसे मैं बस इतना कहूंगा कि सत्ता के लिए अपने विचारों से समझौता करने वाले तो कम से कम छत्रपति शिवाजी की बात न करें। जो आदरणीय बाला साहब ठाकरे के आदर्शो को जीवित नहीं रख सके, उनके विषय में कुछ नहीं कहना है।” उन्होंने कहा, “और एक स्थायी सरकार बनाने के आग्रह पर देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में अजीत पवार के साथ बड़ा तबका आकर सहयोग करे तो इसे लोकतंत्र की हत्या कहा जाता है।”