राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता नवाब मलिक ने शुक्रवार को दावा किया था कि उनके पार्टी प्रमुख ने ‘आधुनिक युग के चाणक्य’ अमित शाह को मात दे दी, लेकिन शनिवार की सुबह उनके लिए झकझोर देने वाली थी, जब महाराष्ट्र में सरकार बनाकर भाजपा के राष्ट्रीय प्रमुख ने बाजी पलट दी।
अजीत पवार के फैसले से उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनों ही आश्चर्यचकित थे। अजीत पवार ने महाराष्ट्र के विधानमंडल में पार्टी नेता चुने जाने का लाभ उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सरकार बना ली और स्वंय उपमुख्यमंत्री और फडणवीस को मुख्यमंत्री के पद पर बिठा दिया।
सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि अजीत पवार भाजपा सांसद सुनील तटकरे के माध्यम से भाजपा के साथ बातचीत कर रहे थे। तटकरे अजीत के करीबी माने जाते हैं। वहीं अजीत पवार को पार्टी के आधे विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
हालांकि शरद पवार को अजीत पवार के कदम के बारे में अंदेशा था और इसलिए पार्टी का विभाजन होने से रोकने के लिए पवार ने सरकार बनाने के लिए शिवसेना के साथ बातचीत शुरू की और अजीत व सुनील तटकरे दोनों को दिल्ली और मुंबई में हो रही बातचीत का हिस्सा बनाए रखा।
सुनील तटकरे भाजपा और राकांपा नेताओं के बीच प्रमुख नेता माने जाते हैं।
राज्य में अक्टूबर में हुए चुनाव के ठीक पहले अजीत पवार ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि शरद पवार के बहुत समझाने के बाद वह पार्टी से वापस जुड़ गए थे, लेकिन पार्टी सुप्रीमो की बेटी और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले के बीत मतभेद स्पष्ट था।
संप्रग शासन के दौरान परिवार में यह तय हुआ था कि सुप्रिया केंद्रीय स्तर पर राजनीति में सक्रिय रहेंगी जबकि अजीत राज्य स्तर पर राजनीति संभालेंगे।