महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार सुबह अचानक नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला। राकांपा प्रमुख शरद पवार द्वारा शिवसेना को समर्थन का आश्वासन दिए जाने के बाद शुक्रवार की रात तक खबरें आ रही थीं कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं, वहीं सभी को चकित करते हुए सुबह आठ बजे देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।
लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि यह कैसे संभव हुआ। एक कयास यह लगाया जा रहा है कि 20 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राकांपा प्रमुख शरद पवार के बीच 50 मिनट तक जो बैठक हुई थी, यह उसका नतीजा है। शनिवार को जो भी हुआ, उसकी नींव उस बैठक में रख दी गई थी।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार सुबह पांच बजे राष्ट्रपति शासन खत्म होने की घोषणा की और तीन घंटे बाद उन्होंने भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलवाई। शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने भी उनके साथ ही उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
शरद पवार ने बुधवार को कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ बैठक में किसानों के मुद्दे पर बात की थी। जबकि सूत्रों का कहना है कि 50 मिनट की उस बैठक में सिर्फ ‘किसानी और किसानों’ की बात ही नहीं हुई थी, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति और अन्य संभावनाओं को लेकर भी बातचीत हुई होगी।
ईडी की छापेमारी से पहले प्रधानमंत्री मोदी के शरद पवार के साथ रिश्ते अच्छे थे और दिग्गज नेता पवार को मोदी सरकार में ही पद्मविभूषण सम्मान दिया गया था।