एक अग्रणी किसान संगठन ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार के साथ हुई बैठक के बाद रैली खत्म करने की घोषणा की है। ज्ञात हो कि सरकार से आक्रोशित होकर लगभग 50 हजारों किसान नासिक से मुंबई तक प्रदर्शन करने निकले थे।
माकपा के समर्थन से अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने इस 180कि.मी. लंबे मार्च को बंद करने की घोषणा की। राज्य मंत्री गिरिश महाजन औऱ जयकुमार रावल के साथ तमाम किसान आंदोलन के प्रतिनिधियों को लगभग साढ़े तीन घंटे तक लंबी बातचीत हुई।
किसानों ने गुरुवार की सुबह ही रैली निकाली था लेकिन कुछ ही समय बाद इसे बंद कर दिया गया। एआईकेएस प्रमुख अशोक धावले ने पीटीआई को बताया कि, “नासिक के अम्बेबाहुला गांव में महाराष्ट्र सरकार के साथ हुई बैठक में नतीजे अच्छे निकले हैं।”
एक साल में यह दूसरी बार था जब इतनी अधिक संख्या में किसान सड़कों पर आए थे। दरअसल किसानों का आरोप था कि केंद्र सरकार व महाराष्ट्र सरकार ने उनके साथ ‘विश्वासघात’ किया है। वे ठगा हुआ महसूस करके सड़कों पर आए थे। पहले यह मार्च बुधवार को शुरु करने की योजना बनाई थी, लेकिन राज्य पुलिस द्वारा ठाणे, पालघर और अहमदनगर जैसे जिलों से नासिक पहुंचने वाले किसानों के रोकने के कारण इसे एक दिन के लिए स्थगित कर दिया गया था।
बुधवार को हुई देर रात की बैठक में एआईकेएस ने महाजन से लिखित तौर पर उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन मांगा था। आश्वासन नहीं मिलने के कारण फिर किसानों ने नासिक से मुंबई तक की महारैली निकालने की ठानी।
गुरुवार को तीसरी बार इस मामले पर सरकार व प्रदर्शनकारियों के बीच बैठक हुई जिसके बाद इसे रोकने का निर्णय लिया गया। पहली बैठक 17 फरवरी को हुईआ थी, जहां किसानों ने राज्य सरकार को रैली के बाबत सूचित किया था।
एआईकेएस अध्यक्ष धावले के अनुसार ठाणे, अहमदनगर, पालघर और नासिक के इलाकों से लगभग 50 हजार किसानों ने इसमें भाग लिया था। उन्होंने यह भी कहा कि, “यदि इस बार फिर सरकार कुछ नहीं करेगी तो रैली दोबारा निकाली जाएगी। सरकार को लिखित आश्वासन देना ही होगा। इस बैठक में माकपा के विधायक जे.पी.गवित भी शामिल थे।
धावले ने कहा, “सरकार और एआईकेएस के बीच दो महीने के अंतराल पर बैठक होनी चाहिए ताकि यह समझा जा सके कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने की दिशा में कार्य कर रही है या नहीं। उन्होंने यह भी बताया कि “बीते एक साल में ऐसी कोई बैठक नहीं हुई है। इस बार सरकार ने लिखित में दिया है कि हमारी मांगों की पूर्ति पर किए जाने वालों कार्यों का व्यौरा हमें भी दिया जाएगा।”
एआईकेएस ने यह भी कहा कि सरकार ने आश्वासन दिया है कि महाराष्ट्र की नदियों जैसे नर, पार, दमनगंगा और पिंजल में बहने वाले पानी को गोदावरी बेसिन में स्थानांतरित किया जाएगा और इसे सिंचाई के माध्यम से राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में इसका उपयोग किया जाएगा।
साढ़े तीन घंटे की इस बैठक में एआईकेएस प्रतिनिधियों ने अपनी चिंताओं के बारे में मुख्यमंत्री को अवगत कराया। महाजन ने कहा कि,”बैठक सकारात्मक रही है, मुझे यकीन है कि एआईकेएस के प्रतिनिधि संतुष्ट हैं।” एआईकेएस ने बताया कि आंदोलन स्थगित करने के बाद सभी किसान अपने-अपने गांवों के लिए रवाना हो गए हैं।