Sun. Sep 8th, 2024
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव के जरिया इस्तीफ़ा दिया।

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की राजनीति तेजी से करवटें ले रही है और मुख्यमंत्री का यूँ बेआबरू होकर जाना ग़ालिब के एक सेर सा लगता है:-

बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले…
बहुत निकले मेरे अरमां, फिर भी कम निकले…

पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट के दौरान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने बागी विधायकों से कई दफ़ा भावुक होकर सधे अंदाज में “घर-वापसी” की अपील की थी। लेकिन यह हो ना सका…

बागी विधायकों की टीम ने उद्धव ठाकरे की सरकार से ऐसा खेल कर दिया कि जैसे जैसे बागी विधायकों का चार्टर्ड प्लेन गुवाहाटी से मुम्बई के करीब गोवा की तरफ़ बढ़ रहा था, इधर उद्धव ठाकरे के हाँथ से सत्ता की बागडोर निकलती जा रही थी।

आखिरकार इस से पहले कि विधायकों का जहाज गोवा में लैंड करता, उद्धव ठाकरे ने एक और फेसबुक लाइव कर के सधे अंदाज़ में उन विधायकों पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

दरअसल, शाम को सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आता है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल के उस फैसले पर रोक नहीं लगाएगी जिसमें राज्यपाल ने कल सदन के पटल पर सरकार को बहुमत साबित करने को कहा था……

….और फिर एक फेसबुक लाइव के जरिये उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। उन्होंने विधान परिषद के सदस्य के पद से भी इस्तीफा देने का ऐलान किया।

इसके साथ ही अब कल महाराष्ट्र विधानसभा के पटल पर बहुमत परीक्षण की बात का कोई मतलब नहीं रह गया है और अब सीधे नए सरकार के शपथ ग्रहण पर नजर रखनी चाहिए।

उधर बागी विधायकों का गुट भी गुवाहाटी से चार्टर्ड फ्लाइट से गोवा पहुँच गया है लेकिन अब शायद गोवा में रुकने की जरुरत नहीं पड़े और वह फ्लाइट सीधे मुम्बई के लिए रवाना हो सकती है।

उद्धव ठाकरे की सरकार के गिर जाने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल है कि आगे क्या? क्या शिवसेना से बागी शिंदे गुट के समर्थन से महाराष्ट्र में फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी?

फ़िलहाल महाराष्ट्र में राजनीति अपना खेल दिखा रही है और हर पल कुछ ना कुछ नए अध्याय जुड़ते जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से चले आ रहे महाराष्ट्र राजनीति संकट अब ‘शायद’ अपने आखिरी दौर में है जहाँ फिर से देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बन सकती है।

मुम्बई के बारे में कहा जाता है कि फिल्मों के डायरेक्टर के जज़्बात का….यहाँ के मौसम के बरसात का….तथा नेता जी के बात का…कोई भरोसा नहीं किया जा सकता है। इसलिए जब तक आखिरी दाव किसी भी पक्ष से ना चला जाये, समझिए खेल अभी खत्म नहीं हुआ है।

By Saurav Sangam

| For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! | |सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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