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    एकनाथ खडसे चुहा घोटाला

    आजकल घोटालों का दौर चल रहा है। कहीं कोई व्यवसायी बैंक का पैसा लेकर फरार है, तो कहीं कोई नेता घोटाले के मामले में जेल काट रहा है। इन हजारों करोड़ों के घोटालों के बीच एक ऐसा घोटाला भी सामने आया है, जिसमें कितने रूपये का घोटाला हुआ है, अभी ये तो सामने नही आया लेकिन इसके बारे में जानकर आपको आश्चर्य जरूर होगा। इस घोटाले का नाम है-चूहा घोटाला।

    आरोप है कि महाराष्ट्र के मंत्रालय भवन में चूहों को मारने के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला किया गया है। और ये आरोप लगाने वाले कोई विपक्ष के नेता नहीं बल्कि बीजेपी के ही अपने नेता और महाराष्ट्र सरकार में पूर्व राजस्व मंत्री रह चुके एकनाथ खड़से हैं।

    दरअसल पूरा मामला तब सामने आया जब कल एकनाथ खडसे ने महाराष्ट्र विधानसभा में बजट मांगों पर चर्चा के दौरान कुछ कागजों को आरटीआई का जवाब बताते हुए राज्य सरकार पर चूहे मारने को लेकर एक बड़ा घोटाला करने का आरोप लगाने लगे। मामला सिर्फ आरोप लगा देने से खत्म नहीं हो गया बल्कि महाराष्ट्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस से खफा खाये इस पूर्व मंत्री ने एक के बाद एक कई सवाल दागे जो काफी हद तक वाजिब हैं। और चूहे मारने के नाम पर घोटाला करने के संदेह को गहराते नजर आ रहे हैं।

    किस विधि से मारे गए चूहे?

    दरअसल यह मामला मई 2016 का है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक जिस कंपनी को चूहे मारने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था, उसने 3 मई 2016 से 10 मई 2016 तक यानी महज 7 दिनों में तीन लाख उन्नीस हजार चार सौ उन्नीस चूहे मारने का दावा करके सरकार से पैसे भी ले चुका है। यह आंकड़ा वास्तव काफी हैरान करने वाला है।

    एकनाथ खडसे ने घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी ने इतनी सटीक गिनती कैसे की? चलो मान लेते हैं कि गिनती कर भी ली, तो इन लाखों चूहों को कैसे मारा गया? जहर दिया गया? कोई गोली दी गई? या फिर किसी और तरीके से मारा गया। इतनी भारी मात्रा में जहर मंत्रालय में लाने की अनुमति ली गई थी या नहीं ली गई थी?

    कहाँ गई डेड बॉडी?

    खड़से ने आरटीआई के जवाब को आधार बनाते हुए कहा कि इस कॉन्ट्रैक्टर ने हर दिन करीब 45628 चूहे मारे। इसका मतलब हुआ कि हर घंटे लगभग 1900 चूहे और हर मिनट लगभग 32 चूहे मारे गए। इतने चूहों का वजन करीब 9125 किलो के आसपास होगा। अब सवाल उठता है कि इतना ज्यादा वजन के चूहों को मंत्रालय के बाहर ले जाने के लिए ट्रक की जरूरत पड़ेगी, तो ट्रक कब आया था? सरकार ये भी बताए कि डेड बॉडी के साथ क्या किया गया? कहाँ दफनाया गया?

    जहर को लेकर सवाल

    इस दौरान खड़से ने कॉन्ट्रैक्टर द्वारा प्रयुक्त किए जाने वाले जहर पर भी सवाल खड़े किए। जैसे कि उस कंपनी को इतना सारा जहर खरीदने की अनुमति थी कि नहीं थी? इतने सारे जहर को मंत्रालय में लाने की अनुमति उस कंपनी ने कब और किससे लिया था?

    विपक्ष ने भी साधा निशाना

    इस दौरान विपक्ष ने भी जमकर निशाना साधने में देर नहीं की। समाजवादी पार्टी के नेता और मानखुर्द शिवाजी नगर से विधायक अबू आजमी ने सरकार को शर्म करने की नसीहत देते हुए पूछा कि जब पूरे मुंबई में 6 लाख चूहे हैं तो सिर्फ मंत्रालय में 3 लाख चूहे कैसे मारे गए। दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले बीएमसी ने मुंबई में 2 लाख चूहे मारने में 2 साल का लम्बा वक़्त लिया था।

    By मनीष कुमार साहू

    मनीष साहू, केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद से पत्रकारिता में स्नातक कर रहे हैं और इस समय अंतिम वर्ष में हैं। इस समय हमारे साथ एक ट्रेनी पत्रकार के रूप में इंटर्नशिप कर रहे हैं। इनकी रुचि कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में भी है।

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