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    महाराजा की घर वापसी, एन चंद्रा के नेतृत्व में टाटा समूह ने एयर इंडिया का कार्यभार संभाला

    टाटा समूह (TATA Group) ने गुरुवार को सरकार से आधिकारिक तौर पर एयर इंडिया का अधिग्रहण अपने पास ले लिया है। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर कहा, ‘एयर इंडिया को टाटा समूह में वापस पाकर हम पूरी तरह खुश हैं।” टाटा समूह को एयर इंडिया के आधिकारिक हस्तांतरण से पहले टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात के बाद एयर इंडिया(Air India) मुख्यालय का भी दौरा किया।

    टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी, जिसे बाद में 1946 में एयर इंडिया (Air India) का नाम मिला। सरकार ने 1953 में एयर इंडिया का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था पर फिर भी जे आर डी टाटा 1977 तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्यभार सँभालते रहे। 69 वर्षों के बाद रतन टाटा और एन चंद्रशेखर की अगुवाई में एयर इंडिया की टाटा समूह में घर वापसी होगी। 18,000 करोड़ रुपये के इस सौदे में टाटा 2700 करोड़ रुपये अग्रिम देने के लिए तैयार हुए हैं और बाकि कीमत 15,300 करोड़ रुपये कर्ज लेकर चुकाई जायेगी। इसके अलावा टाटा को एयरलाइन की स्तिथि में सुधार लाने के लिए अभी कई और हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। गौरतलब है कि टाटा ने स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह के नेतृत्व वाले संघ द्वारा 15,100 करोड़ रुपये की पेशकश और घाटे में चल रही वाहक में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए सरकार द्वारा निर्धारित 12,906 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य, से भी ज़्यादा बोली लगा महाराजा को फिर अपने नाम किया है।।

    दूसरी ओर सौदे के एक हिस्से के रूप में, टाटा समूह को एयर इंडिया एक्सप्रेस(Air India Express) और ग्राउंड हैंडलिंग आर्म एयर इंडिया एसएटीएस (Air India SATS) में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी भी सौंपी जाएगी। यह भारतीय सरकार के इतिहास में 2003-04 के बाद पहला निजीकरण होगा और एयर इंडिया टाटा समूह के स्थिर में तीसरा एयरलाइन ब्रांड शामिल होगा – टाटा समूह की एयरएशिया इंडिया (Air Asia India) और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड के साथ एक संयुक्त उद्यम विस्तारा (Vistara) में बहुमत है।

    सौदे के मुताबिक टाटा को एयर इंडिया की वसंत विहार हाउसिंग कॉलोनी, नरीमन पॉइंट(मुंबई) में एयर इंडिया बिल्डिंग और नई दिल्ली में एयर इंडिया बिल्डिंग जैसी गैर-प्रमुख संपत्तियों की अधिकारिकता नहीं दी जाएगी। वर्तमान में, एयर इंडिया घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 से अधिक घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट के साथ-साथ विदेशों में 900 स्लॉट को नियंत्रित करती है।

    टाटा को भारी पैमाने पर आवश्यक फ्लीट और केबिन अपग्रेड के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यदि टाटा एयर इंडिया को एक लाभदायक एयरलाइन में बदलने में सक्षम हो जाती है, तो ये किसी ऐतिहासिक करिश्मे से कम ना होगा क्यूंकि वर्तमान में, एयर इंडिया को प्रति दिन लगभग ₹ 20 करोड़ का नुकसान हो रहा है। चूंकि स्थापना के बाद से उनके हालिया एयरलाइन उद्यम एयर एशिया इंडिया और विस्तारा पिछले 7-8 वर्षों में लाभदायक नहीं रहे हैं तो इसकी कल्पना निकट भविष्य में करना अतिश्योक्ति जैसा है।

    फ्लीट और केबिन अपग्रेड में भारी बदलाव करने से पहले, टाटा ने यात्रियों को एक नया अनुभव देने के लिए दो नयी चीजों की प्रस्तवना रखा है – अत्यधिक बेहतर भोजन सेवा और क्रू और ग्राउंड स्टाफ के साथ बेहतर एयरलाइन इंटरफेस।

    निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPM) के सचिव तुहीन कांता पांडे ने कहा,”एयर इंडिया का रणनीतिक विनिवेश लेनदेन आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जिसमें एयर इंडिया के 100 प्रतिशत शेयर प्रबंधन नियंत्रण के साथ मैसर्स टैलेस प्राइवेट लिमिटेड(M/S Talace Private Limited) को हस्तांतरित किए गए। स्ट्रैटेजिक पार्टनर के नेतृत्व में एक नया बोर्ड एयर इंडिया का प्रभार लेता है।”

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