आज उड़ीसा विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा पक्ष तेज नारेबाजी व कोलाहल के बीच शुरू हुआ।
बीजू जनता दल के विधायक महानदी जल विवाद को लेकर विधानसभा में प्रदर्शन कर रहे थे।
ये विधायक के दर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार उड़ीसा को जल से वंचित रखने की साजिश कर रही है।
अपनी पार्टी के मंत्री के भाषण के दौरान भी बी. जे. डी विधायकों का विरोध शांत नहीं हुआ। स्पीकर के आग्रह के बाद भी जब सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी, तब सदन को स्थगित कर दिया गया।
इनका कहना था कि भाजपा की केंद्र सरकार ने उड़ीसा की जनता के साथ छल किया है। साथ ही केंद्र से मांग की कि जल निस्तारण के फैसले के लिए महानदी जल प्राधिकरण के पथ को सुगम बनाया जाये।
महानदी जल विवाद
महानदी मध्य भारत की एक प्रमुख नदी है। मध्यप्रदेश से निकल कर यह नदी अपना अधिकतम सफर छट्टीसगढ़ व उड़ीसा में तय कर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
पर पिछले एक दशक से यह नदी छत्तीसगढ़ व ओड़ीसा के बीच विवाद की वजह बनी हुई है।
आजादी के बाद से छत्तीसगढ़ में महानदी के ऊपर कई बांध व बैराज बने हैं। उड़ीसा की नवीन पटनायक सरकार यह आरोप लगाती है कि इन बांधों के बनने से उड़ीसा मे महानदी का बहाव कमजोर पड़ गया है। जिससे उड़ीसा में जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
गौरतलब है कि महानदी का पानी एक बड़ी जनसनलहय के लिए जीवन का स्त्रोत है। उड़ीसा व छत्तीसगढ़, दोनों ही राज्यों के एक बड़े क्षेत्र में खेती के लिए जल महानदी से ही मिलता है।
उड़ीसा सरकार यह भी आरोप लगाती आ रही है कि छत्तिसगढ़ पानी का दुरुपयोग कर रहा है। खेती व आम जनता के उपयोग की जगह छत्तीसगढ़ सरकार उद्योगों को महानदी का पानी दे रही है।
यह विवाद अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके निस्तारण के लिए महानदी जल प्राधिकरण बनाया है।
राजनैतिक घमासान
महानदी विवाद पटनायक सरकार के लिए एक अच्छा राजनैतिक मुद्दा बन गया हैं। नदियों से जुड़े मुद्दे बहुत जल्दी जनता की भावनाओं के साथ सम्बन्ध बना लेते हैं। जैसा कावेरी विवाद में देख गया है।
हालांकि विपक्ष इसे जनता की भावना के साथ खिलवाड़ बताती है। सवाल भी उठते हैं कि :
- क्या उड़ीसा सरकार को छत्तीसगढ़ में चल रही बांध परियोजनाओं के बारे में पता नहीं था?
- अगर पता था तब यह मामला तभी क्यों न्हीं उठाया गया था?
- एक ऐसा मुद्दा जो अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, क्या उसके लिए विधानसभाएं व्यवधाम उतपन्न करना उचित है?
हालांकि जब मामला पूरे राज्य की जीवन-व्यवस्था व उससे भी महत्वपूर्ण जल-आपूर्ति से जुड़ा हो तब ऐसे सवाल अधिक मायने नहीं रखते।
जरूरी यह है कि ऐसे विवादों में जल आपूर्ति की चिंता में आधुनिकता को बलि का बकरा ना बनाया जाये।
केंद्र सरकार की भूमिका
मौजूदा केंद्र सरकार में नदी एवम् जल संसाधन मंत्री उमा भारती की उपस्थिति में उड़ीसा व छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्रीयो की मुलाकात हुई।
तब छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री रमन सिंह ने अपने राज्य के बचाव में तथ्य प्रस्तुत किये कि छत्तीसगढ़ के बांधों से उड़ीसा में महानदी के बहाव में मॉनसून के बाद अथवा पहले भी निरन्तरता बरकरार रहती है।
साथ ही उड़ीसा में हर साल आने वाली बाढ़ से भी जनता को छुटकारा मिला है।
हाल मे ही उड़ीसा के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। हालांकि कोई निर्णायक फैसला आना अब भी बाकी है।