बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक मलावी की अदालत ने प्रदर्शन के कारण महात्मा गाँधी की प्रतिमा का कार्य रुकवा दिया है। सूत्रों के मुताबिक मलावी की राजधानी ब्लान्त्य्रे में महात्मा गाँधी की प्रतिमा तैयार हो रही थी। प्रदर्शनकारियों ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गाँधी पर जातीय भेदभाव का आरोप लगाया था।
अदालत ने अगली सुनवाई तक महात्मा गाँधी की प्रतिमा का निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया था। अदालत में दायर याचिका के मुताबिक खुद को ब्लैक लोग कहने वाले प्रदर्शनकारियों ने बापू पर जातीय भेदभाव का आरोप लगाया था। इस अभियान के प्रवक्ता ने कहा कि अदालत के फैसले से संतुष्ट है। उन्होंने कहा कि हम ये सब मलावी और उसके भविष्य के लिए कर रहे हैं। फेसबुक पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा देश बिकाऊ नहीं है, हम अपने हीरो का सम्मान करेंगे।
प्रवक्ता ने कहा कि महात्मा गाँधी मलावी में सम्मान का हकदार नहीं है क्योंकि वह एक जातिगत भेदभाव करने वाला व्यक्ति था। गाँधी जी की प्रतिमा का विरोध करते हुए 3000 मालवीय नागरिकों ने याचिका पर दस्तखत किये थे। उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी ने साउथ ईस्ट अफ्रीकी देशों के लिए कुछ नहीं किया था।
भारत के साथ हुए 10 मिलियन डॉलर सौदे के तहत इस प्रतिमा और कन्वेंशन सेंटर का नाम महात्मा गाँधी के नाम पर रखा जायेगा। 4 से 5 नवम्बर में मलावी की यात्रा के दौरान भारत के उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू इस कार्यक्रम का उद्धघाटन करेंगे। रविवार को मलावी पहुंचने से पूर्व भारतीय उपराष्ट्रपति बोत्सवाना और ज़िम्वाम्बे की यात्रा पर जायेंगे।
बीबीसी के मुताबिक साल 2016 में घाना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कैंपस से महात्मा गाँधी प्रतिमा को हटाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि महात्मा गाँधी की पहचान जातिवाद करने वाले के रूप में हैं। उन्होंने महात्मा गाँधी के एक लेख के अधर पर कहा कि उनके मुताबिक हम अफ्रीकी ‘अफ्रीका के मूल निवासी असभ्य’ और ‘काफिर’ यानी ‘ब्लैक अफ्रीकियों के लिए उपयोग होने वाली जाति’ हैं।