पाकिस्तान ने अपने सदाबहार दोस्त चीन से कहा कि “यूएन में जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी में शामिल करने के लिए एक शर्त पर ही टेक्निकल होल्ड हटाना कि भारत सीमा पर सेना तनाव काम करेगा और इस्लामाबाद के साथ द्विपक्षीय वार्ता को बहाल करेगा।”
चीन का दांव
चीन द्वारा मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव पर तकनीकी होल्ड लगाने का विशिष्ट कारण इस हफ्ते यूएन को देना है, इसके बाद अमेरिका अन्य विकल्पों पर विचार करेगा। इसमें चीन को शर्मशार करने के लिए यूएन में ओपन डिबेट का विकल्प भी है।
न्यूयॉर्क में स्थित अमेरिकी और भारतीय राजदूतों ने कहा कि “चीन ने पाकिस्तान को शर्तों को अमेरिका को समझाने का काफी प्रयास किया लेकिन ट्रम्प प्रशासन इससे जरा भी प्रभावित नहीं हुआ और बीजिंग से कहा कि अज़हर को सूची में शामिल करना और भारत व पाकिस्तान की द्विपक्षीय वार्ता का बहाल होना एक-दूसरे से कही से भी जुड़ा हुआ नहीं है।”
आतंकियों की हिफाजत के लिए शर्त
चीन ने अमेरिका-फ्रांस-ब्रिटेन द्वारा यूएन में लाये गए प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी थी और यूएनएससी ने चीन को दो हफ़्तों में इसका कारण देने के लिए कहा था। यह समयसीमा इस हफ्ते समाप्त हो जाएगी और अमेरिकी प्रतिनिधियों ने संकेत दिया है कि वह अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने का इरादा रखते हैं।
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने चीन को मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल होने में अड़ंगा न लगाने को कहेगा। बहरहाल, सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि “जेईएम और मसूद अज़हर पाकिस्तान में उपस्थित नहीं है और न ही सक्रीय है।
अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करना का भार भारत ने अपने प्रमुख साझेदारों के कांधो पर डाल दिया है।पाकिस्तान के लिए चीन के प्रयासों से अमेरिका ख़ासा नाराज है। पाकिस्तान यूएनएससी के 10 गैर सदस्यों को मानाने का प्रयास कर रहा है, जो सभी मसूद अज़हर को आतंकी सूची में शामिल करने के पक्ष में है।
मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ कश्मीर मसले पर बातचीत करने से इंकार दिया है क्योंकि आतंक और और वार्ता एक साथ संभव नहीं हो सकती है। पुलवामा हमले के बाद अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और सीआईए जैसे ख़ुफ़िया विभाग के प्रमुख हिना हास्पेल ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की बालाकोट कार्रवाई का समर्थन किया था।