अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र में लम्बे समय से लंबित पड़े मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव को पारित किये जाने पर ख़ुशी का इजहार किया है। ट्वीटर पर उन्होंने कहा कि “जेईएम के सरगना मसूद अज़हर को कल यूएन की सूची में शामिल होते हुए देखना अच्छा लगा, जो काफी आरसे से लंबित था।”
भारत के लिए यह बड़ी कूटनीतिक विजय थी कि आखिरकार मसूद अजहर को बगैर किसी अड़चन के आतंकी सूची में शामिल कर दिया था। चीन ने तकनीकी रोक को हटा लिया था। भारत ने एक दशक पूर्व वैश्विक संस्था के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था।
यूएन प्रतिबन्ध समिति ने अज़हर को अल क़ायदा के साथ जुड़े होने के कारण वैश्विक आतंकी सूची में शामिल किया था इसमें आतंकी गतिविधियों की योजना, वित्तपोषण, समर्थन हथियारों को बेचना और अन्य अवैध गतिविधियां शामिल है। 10 वर्षो में चीन ने भारत द्वारा लाये गए प्रस्ताव पर तक़रीबन चार बार तकनीकी रोक लगाई थी। बीजिंग ने साल 2009, 2016 और 2017 में भारतीय प्रस्ताव पर तकनीकी कारणों से रोक लगा दी थी।
14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश ए मोहम्मद ने ली थी जिसमे 40 जवानो की मृत्यु हो गयी थी। यूएन की 1267 अलकायदा समिति के प्रतिबंधों के बाद अज़हर को संपत्ति को जब्त कर लिया जायेगा और उसकी यात्रा पर प्रतिबन्ध होगा। ऐसे ही प्रतिबन्ध अलकायदा और आईएसआईएल यानि इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड द लेवेंट पर है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् ने कहा कि “मसूद अज़हर का वाकया अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि पाकिस्तान से आतंकवाद का खात्मा करेंगे और दक्षिण एशिया में सुरक्षा व स्थिरता कायम रखेंगे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति में अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की अमेरिका प्रशंसा करता है।