अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के दो अन्य सदस्य फ्रांस और ब्रिटेन वीटो अधिकार चीन के साथ मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी सूची में शामिल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। उन्हें भरोसा है कि चीन के साथ अच्छी निष्ठां से बातचीत की जाएगी।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि “यदि यह प्रयास असफल रहता है तो यूएन के तीन स्थायी सदस्य यूएन के सबसे ताकतवर विंग की सूची में लाने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तावित करेंगे जिसमे इस मसले पर ओपन डिबेट होगी।
उन्होंने कहा कि “अगर चीन ऐसे ही मसूद अज़हर पर पाबंदी लगाने में चीन अड़ंगा लगाता रहेगा तो सदस्य देशों को मज़बूरन अन्य कार्रवाई करनी होगी।” अज़हर के खिलाफ प्रस्ताव लाने वाले देश चीन के साथ अच्छी निष्ठा से बातचीत कर रहे हैं, कोई समझौता भी हो सकता है। हालाँकि चीन मसूद अज़हर को आंतकी सूची में शामिल करने को लेकर कुछ बदलाव चाहता है।
अलबत्ता, पूर्व की तरह ही सुरक्षा परिषद् के सदस्य चीन के सात चर्चा में ज्यादा समय व्यर्थ नहीं करना चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक इन देशों ने चीन को अन्य विकल्पों पर कार्रवाई करने की सूचना दे दी है। इसके लिए सुरक्षा परिषद् में डिबेट भी हो सकती है।
इन देशों के अधिकारीयों का मानना है कि चीन पहले के मुकाबले अब ज्यादा सहयोगी होगा। हालंकि अगर किसी क्षण इन देशों के भान होता है कि चीन यह चर्चा ईमानदारी से नहीं कर रहा तो वे अन्य कार्रवाई के लिए तैयार है। आतंकवाद से लड़ने वाले देशों में चीन अलग थलग होता जा रहा है।
चीन की कार्यप्रणाली के जानकार को अभी भी बीजिंग पर विश्वास नहीं है और इसी कारण वह अन्य विकल्पों पर भी कार्य कर रहे हैं। इसके लिए सुरक्षा परिषद् में ओपन डिबेट हो सकती है और चीन इसमें खुद का बचाव मुश्किल ही कर सकता है।
चीन ने गुरूवार को जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को यूएन सुरक्षा परिषद् में वैश्विक आतंकी की फेरहिस्त में शामिल होने से बचाने पर अपने कदम का भी बचाव किया है।
इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि “हम इस परिणाम से नाखुश हैं। विदेशी समुदाय द्वारा जैश ए मोहम्मद के सरगना को आतंकी सूची में शामिल करने को रोकना है। जैश ए मोहम्मद एक सक्रिय और प्रतिबंधित आतंकी संगठन है, जिसने 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी।”
अमेरिका की और से सख्त सन्देश में राजनयिक ने कहा कि “अगर बीजिंग आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गंभीर है तो उसे पाकिस्तान या अन्य राष्ट्रों के आतंकियों को नहीं बचाना चाहिए। अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि यह चौथी दफा है जब चीन ने ऐसा कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि यदि चीन अड़ंगा लगाता रहा तो अन्य देशों को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जो कतई सही नहीं होगा।