भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी समकक्षी ने नई दिल्ली में मुलाकात की थी। इस बैठक के दौरान चीन ने भारत को आश्वस्त किया कि भविष्य में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरंगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की जानकारी पर विचार करेंगे।
भारत ने कहा कि उसकी सरजमीं को चीन के खिलाफ राजनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जायेगा। बीजिंग ने साल 2016 में दलाई लामा के अरुणाचल दौरे का विरोध किया था। तीन राष्ट्रों की सेना के मध्य दो महीने तक तनातनी चली थी।
भारत ने चीन से अनुरोध किया था कि संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में विटो का इस्तेमाल न करे। हालांकि चीन ने भारत के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। चीनी मंत्री ने वादा किया कि यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ असम के अध्यक्ष परवेश बरुहा पर कार्रवाई करेगा। परवेश चीन से हथियारों और ड्रग की तस्करी भारत के उत्तरी पूर्व इलाके में करते हैं।
चीन अरुणाचल प्रदेश को एक विवादित इलाका मानते हैं चीनी तिब्बत के प्रदर्शन नेता दलाई लामा को अलगाववादी मानता है। चीन के मुताबिक तिब्बत के नागरिक यहाँ कोई प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं।
अधिकारिक सूचना के मुताबिक चीन अरुणाचल प्रदेश के कथित विवादित मुद्दें उठाना चाहता था। चीनी के प्रतिनिधि समूह ने कहा कि भारतीय इलाके से कोई चीनी सैन्य गतिविधियाँ नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि भारत में उइगर मुस्लिम चरमपंथियों के प्रदर्शन का कोई सबूत मौजूद नहीं है।
भारत और चीन ने 22 अक्टूबर को आतंक रोधी अभियान और अन्य विभागों के क्षेत्र में साझा सहयोग पर दस्तखत किये थे। भारत को चीन के मध्य इससे पूर्व साल 2005 में समझौते पर हस्ताक्षार किये था, हालांकि वो समझौता दो वर्ष टूट गया था।