विषय-सूचि
मशीन लर्निंग क्या है? (what is machine learning in hindi)
मशीन लर्निंग मुख्य रूप से एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें कंप्यूटर जैसी मशीनें अपने आप चीजें सीख जाती हैं। इस योजना में मशीनें मानव दिमाग की तरह ही चीजों को सीखती हैं और इस प्रक्रिया में उन्हें किसी मानव की मदद की जरूरत नहीं पड़ती है।
मशीन लर्निंग एक एल्गॉरिथ्म है जो की सॉफ्टवेयर को सही रूप से चलाने में मदद करती है और आउटकमस को बिना किसी प्रोग्रामिंग के प्रेडिक्ट करने में काम आता है।
मशीन लर्निंग का सामान्य काम यह होता है की, वह इस तरह की एल्गॉरिथ्म को बनाए जिससे की वो इनपुट डाटा को ले सके और स्टाटिस्टिकल एनालिसिस कर सके आसानी से। जिससे वह आउटपुट में आने वाला डाटा बता सके और नए डाटा को भी अपडेट कर सके।
जो प्रोसैस डाटा माइनिंग और प्रेडिक्टिव मोडेल्लिंग में होता है वही हूबहू मशीन लर्निंग में भी होता है। दोनों में डाटा को पहले पैटर्न में सर्च किया जाता है उसके बाद प्रोग्राम के हिसाब से उसे लगा दिया जाता है।
काफी लोग मशीन लर्निंग से वाकिफ हैं क्योंकि काफी लोग इंटरनेट से ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं और शॉपिंग से मिलते झूलते एड को जो लोग देखते हैं वो भी मशीन लर्निंग की मदद से चलता है।
ऑनलाइन एड डेलीवेरी में भी कुछ सर्च इंजन जो होते हैं वो भी मशीन लर्निंग इस्तेमाल करते हैं। इस तरह की मार्केटिंग के अलावा मशीन लर्निंग फ़्रौड को पकड़ने, स्पैम को फ़िल्टर करने, थ्रेट डिटेकशन और नेटवर्क सिकयूरिटी आदि जैसे केसों में भी काम आते हैं।
मशीन लर्निंग कैसे काम करता है? (function of machine learning in hindi)
मशीन लर्निंग एल्गॉरिथ्म को हम सुपरवाइसड़ (Supervised) और अनसुपरवाइसड (Unsupervised) में विभाजित करते हैं। सुपरवाइसड़ एल्गॉरिथ्म को बनाने के लिए हमे डाटा साइंटिस्ट और डाटा एनलिस्ट की जरूरत होती है जिसे मशीन लर्निंग आता हो जो की सारे आउटपुट और इनपुट को बता पाएँ यह एक्यूरेसी और फीडबैक को भी बड़े ढंग से बताता है। डाटा साइंटिस्ट बताता है की कौनसा वैरीऐबल और फीचर हमे डेव्लपमेंट के लिए इस्तेमाल करना चाहिए इसे वह देखने का काम करता है। जैसे ही इसकी ट्रेनिंग खतम होती है वैसे ही एल्गॉरिथ्म अपने आप नए डाटा पर अप्लाई हो जाती है।
अनसुपरवाइसड़ एल्गॉरिथ्म को किसी ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ती किसी भी आऊटकम डाटा के लिए। इसकी वजह वह इटेरटिव अप्रोच इस्तेमाल करता है जिसे हम डीप लर्निंग बोलते हैं। अनसुपरवाइसड़ लर्निंग एल्गॉरिथ्म को हम नीयुरल नेटवर्क्स भी बोलते हैं और यह कॉम्प्लेक्स प्रोसेसिंग टास्कस में काम आती है। जैसे की इमेज रेकोगीनिशन, स्पीच टु टेक्स्ट और नैचुरल लैंगुएज जेनेरेशन। इस तरह के नीयुरल नेटवर्क्स मिल्यनस ट्रेनिंग डाटा को अपने आप कम्बाइन करते हैं और वैरीऐबल में सह-सबंध बनाते हैं।
ट्रेनड होते ही नया डाटा आसानी से एल्गॉरिथ्म को इस्तेमाल करके सारा काम कर देता है और नए डाटा को इंटरप्रेट भी करने में काम आता है। एल्गॉरिथ्म में भी बिग डाटा के काम में भी फिजिबल होता है क्यूंकी इसे बहुत सारा डाटा चाहिए होता है।
मशीन लर्निंग आजकल काफी सारी चीजों में इस्तेमाल होता है। यह ज़्यादातर सारी टैक्नीकों में इस्तेमाल होता है। यह हमारा तकनीकी ज्ञान भी काफी बढ़ा रहा है और काफी लोग मशीन लर्निंग कों बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं अपने बिज़नेस कों बढाने के लिए।
मशीन लर्निंग आजकल बहुत सारे एप्स में इस्तेमाल होता है। सबसे अच्छा एक्जाम्पल है फेस्बूक का न्यूज़ फीड। फेस्बूक की न्यूज़ फीड मशीन लर्निंग से सभी लोगों की न्यूज़ फीड को अरैंज करती है। अगर कोई भी इंसान पढ़ते हुए किसी भी फ्रेंड की पोस्ट्स को स्क्रोलिंग बंद कर देगा तो न्यूज़ फीड उसकी पोस्टों को दिखाना बंद कर देगा, पर इससे पहले वो आपके फ्रेंड की पोस्ट्स को काफी दिखाता था।
पीछे की तरफ एक तरह से सॉफ्टवेयर स्तटिस्टिकल एनालिसिस कर रहा था और प्रेडिक्टिवे एनालिसिस कर रहा था, जिससे की वो डाटा को फ़िल्टर कर सके और न्यूज़ फीड को अच्छे से अरैंज कर सके। जैसे की कुछ लोग प्राइवैसी भी लगा देते हैं उसमें यह होता है की आप किसी फ्रेंड की पोस्ट पर लाइक और कमेंट नहीं कर सकते नया डाटा जो भी होगा वह भी इसके साथ साथ एडजस्ट कर लेगा और प्रभावी रूप से काम करेगा जिससे काम में कोई दिक्कत नहीं आए।
मशीन लर्निंग से हम कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट भी कर सकते हैं। जैसे की अजीओ, फ्लिपकार्ट, आदि में होता है हम किसी भी आइटम को सॉर्ट करते हैं और फिर वो उस ही हिसाब से अरैंज हो जाता है हमारी सुविधा अनुसार रहता है इसमे भी मशीन लर्निंग इस्तेमाल होता है। जैसे की इनमे पेमेंट आदि करने के लिए वालेट होता है इसमे भी डेवलपरस को मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करना पड़ता है।
बिज़नेस इंटेलिजेंस और ऐनलयटिकस वेंडोर्स भी मशीन लर्निंग का काफी इस्तेमाल करते हैं जिससे की उनका सॉफ्टवेयर में जितने भी जरूरी डाटा पॉइंट्स होते हैं वह आसानी से अरैंज हो जाएँ और हमे काम करने में आसानी हो। ह्यूमन रिसोर्स वाले लोग भी इसका इस्तेमाल करते हैं, जब भी उन्हे किसी एम्प्लोयी के काम और विशेषता आदि को जब छांटना होता है और जब उन्हे लोगों को काम पर रखना होता है, तब उसमे बिज़नेस इंटेलिजेंस बहुत काम में आता है। मशीन लर्निंग सेल्फ ड्राइविंग कारों में भी काफी काम आता है।
वर्चुअल असिस्टेंट टेक्नालजी भी मशीन लर्निंग के इस्तेमाल से ही काम में आती है। जो स्मार्ट असिस्टेंट होता है वो डीप लर्निंग मॉडल और यूजर के पर्सनल शैड्यूल आदि को समझने और याद दिलाने में भी काम में आता है।
डाटा माइनिंग और मशीन लर्निंग (machine learning in data mining in hindi)
डाटा माइनिंग में मशीन लर्निंग का भी एक बड़ा रोल है। आज के तकनीक जगत में डाटा माइनिंग की प्रक्रिया एक कंप्यूटर को समझा दिया जाता है, जिससे एक कंप्यूटर यानी की मशीन अपनी लर्निंग की मदद से डाटा माइनिंग करने में सक्षम हो जाती है।
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में डाटा माइनिंग और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल एक साथ किया जा रहा है।
इसके अलावा मेडिकल, शिक्षा, वित्तीय सेवाओ आदि में इन दोनों सेवाओं का एक साथ इस्तेमाल किया जाता है।
मशीन लर्निंग एल्गॉरिथ्म के प्रकार (types of machine learning algorithm in hindi)
- डिसिजन ट्री – इस तरह के मॉडल बहुत कार्यो का अवलोकन करते हैं और उसके लिए एक जरूरी पाठ को ढुढते हैं जिससे की यह प्रभावी रूप से काम कर सके।
- के मीन्स क्लस्टरिंग – यह केवल एक स्पेसिफिक डाटा पॉइंट्स की ग्रुपिंग करते हैं और उनके डाटा पॉइंट्स को अरैंज कर देते हैं।
- नियुरल नेटवर्कस – इस तरह के मॉडल ज्यादा ट्रेनिंग डाटा को इस्तेमाल करते हैं और उनमे ताल मेल बैठने का काम करते हैं ताकि डाटा को सही से अरैंज किया जा सके, और जो बाद में इनकमिंग डाटा होता है उसे भी यह ग्रुप में विभाजित कर देता है और अच्छे से डाटा को दर्शाता है।
आने वाले समय में मशीन लर्निंग का काफी भविष्य है ज्यादतर चीजों में आने वाले टाइम में मशीन लर्निंग ही इस्तेमाल होगा और हम उस पर पूरी तरह से निर्भर होंगे। आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
मशीन लर्निंग से सम्बंधित किसी भी सवाल या सुझाव को आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।
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