विषय-सूचि
आज तक जितने भी प्रोटोकॉल आर्किटेक्चर डिजाईन किये गये हैं लगभग उन सभी में मल्टीप्लेक्सिंग और Demultiplexing की सर्विस रही ही रही है।
UDP और TCP भी मल्टीप्लेक्सिंग और demultiplexing की सुविधा देता हैं और ऐसा वो अपने सेगमेंट हेडर में ये दो क्षेत्र जोड़ कर करते हैं:
- सोर्स पोर्ट संख्या क्षेत्र, और
- डेस्टिनेशन पोर्ट संख्या क्षेत्र
मल्टीप्लेक्सिंग क्या है? (multiplexing in hindi)
मल्टीप्लेक्सिंग में ये सारी प्रक्रियाएं होती है:
- सेंडर के एक से ज्यादा एप्लीकेशन प्रोसेस से डाटा को जमा करना,
- उस डाटा को हेडर में समाहित करना, और
- और उसे प्राप्तकर्ता को एक कर के भेजना।
डिमल्टीप्लेक्सिंग क्या है? (demultiplexing in hindi)
प्राप्त किये गये सेगमेंट को रिसीवर साइड पर सही अप्पप लेयर प्रोसेस को देने की प्रक्रिया को demultiplexing कहते हैं।
मल्टीप्लेक्सिंग और demultiplexing के कुल दो प्रकार होते हैं:
- कनेक्शनलेस मल्टीप्लेक्सिंग एवं demultiplexing, और
- कनेक्शन-ओरिएंटेड मल्टीप्लेक्सिंग एवं demultiplexing
मल्टीप्लेक्सिंग और डिमल्टीप्लेक्सिंग की प्रक्रिया (multiplexing and demultiplexing techniques)
सेंडर साइड के एप्लीकेशन लेयर से रिसीवर साइड के एप्लीकेशन लेयर तक डाटा भेजने के लिए सेंडर को डेस्टिनेशन का IP एड्रेस और एप्लीकेशन की पोर्ट संख्या का मालूम होना जरूरी है जहां हम देता को ट्रान्सफर करने जा रहे हैं (डेस्टिनेशन साइड पर)।
इसका ब्लाक डायग्राम नीचे इस चित्र में दिखाया गया है:
उपर वाले चित्र में आप देख सकते हैं कि कैसे एक दूसरे के एप्लीकेशन में डाटा ट्रान्सफर किया जाता है।
अब उदाहरण के तौर पर दो सन्देशवाहक एप्प के बारे में सोचिये जो कि आजकल काफी प्रयोग किये जा रहे हैंव् जसी कि हाइक और व्हाट्सएप्प। अब मान लीजिये कि A सेंडर है और B एक रिसीवर है।
दोनों यानि सेंडर और रिसीवर में उसके सिस्टम में एप्लीकेशन इन्स्टाल किया हुआ रहता है (जैसे कि स्मार्टफ़ोन्स)। अब मान लीजिये कि A हाइक और व्हाट्सएप्प दोनों पर ही B को संदेश भेजना चाहता है।
अब ऐसा अकरने के लिए A को B का IP एड्रेस पता होना चाहिए और साथ ही Whatsapp या Hike का डेस्टिनेशन पोर्ट नम्बर भी पता होना चाहिए। तभी इन दोनों का प्रयोग कर के मैसेज भेजा जा सकेगा।
अब दोनों ही एप्प के मैसेज एक हेडर के अंदर समाहित कर दिए जायेंगे (जैसे कि सोर्स IP एड्रेस, डेस्टिनेशन IP एड्रेस, सोर्स पोर्ट संख्या, डेस्टिनेशन पोर्ट संख्या इत्यादि) और फिर उन्हें एक सिंगल मैसेज बनाकर रिसीवर को भेजा जाएगा। इसी प्रोसेस को मल्टीप्लेक्सिंग कहते हैं।
अब डेस्टिनेशन पर प्राप्त हुए मैसेज को हेडर के अंदर से निकाला जाएगा और उन संदेशों को उनके एप्लीकेशन को भेज दिया जाएगा। इस प्रक्रिया को demultiplexing कहते हैं। इसी तरह से B भी A को संदेश भेज सकता है।
इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।