मलेशिया के प्रधानमन्त्री महातिर मोहम्मद ने चीन और तुर्की का साथ दिया और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए भारत की आलोचना की है। मलेशिया इस मामले पर गंभीर है और इस मसले के समाधान के लिए कूटनीतिक चैनल को खुले रखने का सुझाव दिया है।
भारत ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था और विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था। जिसे वैश्विक पटल पर राजनीति ढाँचे में उतारा गया था। भारत ने कहा कि यह उनका आंतरिक मामला है जबकि पाकिस्तान ने मुताबिक कश्मीरियों के अधिकारों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
यूएन में संबोधन के दौरान मलेशिया के प्रधानमन्त्री महातिर मोहम्मद ने कहा कि “भारत के कदम ने कश्मीर के मामले पर यूएन के अधिकारों का उल्लंघन किया है।” द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, मोहमद ने अपने भारतीय समकक्षी को वार्ता के जरिये इस विवाद को हल करने का सुझाव दिया था न कि अतिक्रमण करके।”
94 वर्षीय प्रधानमन्त्री ने भारतीय प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी से व्कदिवोस्तोक में मुलाकात की थी और उन्हें इस कदम के बाबत सूचित किया गया था और भारत सरकार के पीछे निर्णय के लॉजिक ओअर चर्चा की गयी थी।
भारत ने विवादित धार्मिक उपदेशक जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण के मुद्दे को उठाया था। नाइक पर एनआईए ने धनाशोधन और चरमपंथ पर भाषण देने के आरोप लगाये हैं। उसने विभागों को दिखा दिया और साल 2016 से वह मलेशिया में हैं।
इमरान खान ने यूएन के सम्मेलन के इतर प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से निराश हूँ। अगर अगर 80 लाख यूरोपीय या यहूदी या आठ अमेरिकी नागरिको को भी कैद में रखा जाता, क्या तब भी प्रतिक्रिया ऐसी ही उदासीन होती। मोदी पर इस कर्फ्यू को हटाने का कोई दबाव नहीं है।”