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    मयंक अग्रवाल

    बमुश्किल एक महीने पहले, मयंक अग्रवाल दुर्भाग्यशाली क्रिकेटर थे जिनके घरेलू और ‘ए’ गेम्स में रनों का पहाड़ न तो चयनकर्ताओं के पास गया और न ही भारतीय टीम के थिंकटैंक में। फिर, कर्म उस पर मुस्कुराया।

    ऑस्ट्रेलिया में भारत की अब तक की ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ के आधे हिस्से में चोटिल पृथ्वी शॉ के प्रतिस्थापन के रूप में मंयक अग्रवाल के टीम में शामिल किया गया था। 27 साल के इस खिलाड़ी ने अपने पदार्पण मैच में ही ऑस्ट्रेलिया में यह दिखा दिया था की उनके बल्ले में कितनी आग है।

    बॉक्सिंग डे पर मेलबर्न में रिकॉर्ड 73,516 दर्शकों के सामने डेब्यू करते हुए मयंक ने शानदार खेल दिखाया। समय मधुर था, फुटवर्क सटीक और बॉडी लैंग्वेज आश्वस्त थी। वह दो अर्धशतकों को सैकड़ों में बदलने से चूक गए, लेकिन उन्होने सीरीज में  195 रन बनाए जिनमें (76, 42, 77) की पारिया शामिल थी।

    ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज से धर लौटने के बाद मयंक ने टीओआई के साथ बातचीत की-

    जब आप ऑस्ट्रेलिया में थे तब आपके क्या विचार थे? 
    मैं भारतीय टीम का हिस्सा बनने के लिए बहुत उत्साहित था। मैं एक ऐसी श्रृंखला का हिस्सा बनने जा रहा था, जिसमें बहुत संघर्ष किया जा रहा था और मैं वहाँ होने के लिए उत्सुक था।

    उस क्षण के बारे में बताए जब आपको भारतीय टीम की कैप सौंपी गई थी-

    भारतीय टीम की कैप मिलना मेरे लिए बहुत भाग्यपूर्ण बात थी, लेकिन उससे ज्यादा उस लम्हे में जो खास था वह कप्तान विराट कोहली और बाकी की टीम से मिले उत्साहवर्धक शब्द थे। मेरे डेब्यू से पहले रवि शास्त्री सर ने मुझसे बात की थी, ‘ मयंक तुम्हे तुम्हारा मौका दिया जा रहा है। हमें पता है तुम यहा तक कितना कठिन परिश्रम करके पहुंचे हो, आपने अभी तक घरेलू क्रिकेट में बहुत रन बनाए है उसकी मदद तुम्हे यहा मिलेगी। विराट ने भी बहुत बढ़ावा दिया और कहा, ‘ यह अपना डेब्यू करने के लिए बहुत बड़ी जगह है। जितना बड़ी जगह, उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी और तुम्हारे पास यहा अपने छाप छोड़ने के लिए अच्छा मौका है। यह सभी को स्वीकार करने और समर्थन करने के लिए शानदार लगा।

    टेस्ट मैच की अपनी पहली पारी में 76 रन बनाकर कैसा लगा? 

    अगर ईमानदारी से कहूं तो, शुरूआत में मैं थोड़ा चिंतित था। लेकिन जब मैंने अपने आप से दो तीन शॉर्ट दूरे खेले, उसके बाद मैं अपने जोन में आ गया था। वह मैं खुद था जो उस समय अपने आप से बात कर रहा था और कह रहा था मैं यहा एक योजना के साथ आया हूं। और मुझे उसी पर अडिग रहना है। मैं उस समय उस लम्हें में रहना चाह रहा था जो मैंने सोचा था, मैं इसके अलावा कुछ नही सोच रहा था।

    कोई पछतावा की तुम ऑस्ट्रेलिया में शतक नही लगा पाए?

    मै ज्यादा निराश नही था जब में पहले मैच में 76 रन पर आउट हुआ था क्योंकि पैट कमिंस की वह गेंद बहुत अलग थी जो मैंने सोची थी। लेकिन सिडनी में, मैं अपने आप से निराश था। यह शतक की बात नही थी, लेकिन मैं बड़ा स्कोर करना चाहता था। मैं उस चीज से नाराज था जिस तरह मैंने अपनी विकेट गंवाई थी। उस समय भी मेरे पास योजना थी कि मुझे अपनी पारी को कैसे आगे बढ़ाना है। वह योजना था कि नाथन लियोन की गेंद में रन बनाने है, लेकिन ऐसा नही हो पाया। यह से मुझे कुछ सीखने को मिला है जो मैं आगे नही दोहराना चाहूंगा।

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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