Sat. Nov 23rd, 2024

    भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही बंगाल विधानसभा चुनाव के चलते यह सुनिश्चित करने में लगी हुई है कि दूसरे को सीतलकुची में हुए हिंसा और कोविड-19 महामारी से राजनीतिक लाभ ना मिल पाए।

    पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के सबसे बड़े चरण का मतदान शनिवार को होना है, जिसमें 45 सीटों की उम्मीदवारी है। पांचवें चरण के मतदान पर सीतलकुची में हुई हिंसा और कोविड-19 महामारी के काले बादल मंडराते हुए नजर आ रहे हैं। शनिवार को भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों मिलकर यह सुनिश्चित करने में लग गए हैं कि दूसरे को इसका राजनीतिक लाभ न मिल पाए।

    ममता बनर्जी ने आतंकवादी संगठन की भाषा बोलनी शुरु कर दी है

    “यह चिंता का एक बेहद ही महत्वपूर्ण कारण है कि सत्ता में बैठी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन आतंकवादी संगठनों की भाषा बोलनी शुरू कर दी है, जो जम्मू कश्मीर में एक समय पाकिस्तान द्वारा सक्रिय था। यह आतंकवादी संगठन केंद्रीय बलों और लोगों पर हमले को उकसाने के लिए जाना जाता था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर चुनाव आयोग द्वारा लगाया गया 24 घंटे का अभियान प्रतिबंध पर्याप्त नहीं था, चुनाव आयोग को उनके खिलाफ और भी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी। मुख्यमंत्री को कोई पश्चाताप नहीं है और वह अपने नाट्यशास्त्र में वापस आ गई है”- बोलपुर से भाजपा के उम्मीदवार और श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के निर्देशक अनिर्बान गांगुली ने कहा।

    भाजपा की सीतलकुची हिंसा पर जारी की गई ऑडियो टेप

    भाजपा ने शुक्रवार को एक ऑडियो टेप जारी किया है जिसमें कथित तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आवाज सुनी जा सकती है। इस ऑडियो टेप में ममता बनर्जी सीतलकुची उम्मीदवार के शव के साथ रैली निकालने की बात कहती सुनाई दे रही है और अर्ध सैनिक अधिकारियों को शामिल करने की बात भी कह रही हैं।

    भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह राजनीतिक लाभ के लिए मृत्यु पर तृणमूल कांग्रेस की गिद्ध संस्कृति को दर्शाता है। गांगुली ने यह भी बताया कि सीतलकुची में जो हिंसा केंद्रीय बलों के घेराव के लिए हुई है वह उसके लिए मुख्यमंत्री के बयानों को सीधा-सीधा जिम्मेदार मानते हैं।

    “यह आम लोग नहीं हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री की बात सुनकर हिंसा की, यह उनकी पार्टी के गुंडे थे जिन्होंने केंद्रीय बलों पर हमला करने के अपने आदेश जारी किए थे। कोई भी सामान्य व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा क्योंकि वह चाहते हैं कि अंत में तृणमूल कांग्रेस की पकड़ से वह निकल सके” – अनिर्बान गांगुली।

    By दीक्षा शर्मा

    गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली से LLB छात्र

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *