पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस की न्याय योजना भारत में न्यूनतम आय गारंटी गरीबी खत्म करने और नरेंद्र मोदी सरकार के तहत ‘बंद हो गए’ आर्थिक इंजन को फिर से शुरू करने के युग की शुरुआत करेगी।
सिंह ने एक बयान में कहा कि न्याय को लागू करने के बाद हर साल प्रत्येक परिवार को 72,000 रुपये दिए जाएंगे, जिसका लाभ देश की सबसे गरीब 20 फीसदी आबादी को मिलेगा और इसे लागू करने के लिए मध्य वर्ग पर कोई नया कर नहीं लगाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस राजकोषीय अनुशासन के लिए प्रतिबद्ध है और न्याय की लागत अपने चरम पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 1.2 से 1.5 फीसदी होगा।
सिंह ने कहा, “हमारी करीब 3,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में इस योजना को लागू करने की राजकोषीय क्षमता है और न्याय के वित्त पोषण के लिए मध्य वर्ग पर किसी प्रकार के नए कर को लगाने की आवश्यकता नहीं है। न्याय को जो आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा, उससे राजकोषीय अनुशासन में और मदद मिलेगी। इसे विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श के बाद परिकल्पित किया गया है।”
उन्होंने कहा कि न्याय एक शक्तिशाली विचार है जिसके दो उद्देश्य हैं।
उन्होंने कहा, “25 मार्च 2019 को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न्याय – न्यूनतम आय योजना का अनावरण किया था, ताकि गरीबी के आखिरी अवशेष को भी हटाया जा सके और हमारे देश की रुकी पड़ी अर्थव्यवस्था में जान फूंकी जा सके।”
सिंह ने कहा कि न्याय को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है और देश में इस पर व्यापक चर्चा हो रही है।
उन्होंने कहा, “1947 में जब आजादी मिली थी, तो करीब 70 फीसदी भारतीय गरीब थे। पिछले सात दशकों में सरकारों की नीतियों के कारण गरीबी 70 फीसदी से घटकर अब 20 फीसदी रह गई है। अब वक्त आ गया है कि हम गरीबी के बचे खुचे अवशेष को भी खत्म करने का प्रण करें।”
सिंह ने कहा कि न्याय से हरेक भारतीय परिवार को बुनियादी सम्मान मिलेगा।
उन्होंने कहा, “प्रत्यक्ष आय समर्थन से न्याय हमारे गरीबों को आर्थिक स्वतंत्रता और पसंद से सशक्त बनाएगा। न्याय के साथ भारत न्यूनतम आय गारंटी के एक नए युग में प्रवेश करेगा।”