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    भोपाल, 24 मई (आईएएनएस)। देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्य प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चली आंधी के बीच राजनीतिक रियासतें भी उखड़ गईं। जनता ने रियासतों के प्रतिनिधियों को पूरी तरह नकार दिया। चार प्रमुख राजघरानों से नाता रखने वाले उम्मीदवारों को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। राज्य की सियासत में अरसे बाद ऐसा हुआ है।

    राज्य की 29 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है। बाकी 28 सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कराई है। राज्य की चार सीटों गुना, भोपाल, खजुराहो और सीधी से राजघरानों से नाता रखने वाले नेता उम्मीदवार थे। इन चारों उम्मीदवारों को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है।

    कांग्रेस के लिए सबसे चौंकाने वाली हार गुना से मिली है। ग्वालियर के सिंधिया राजघराने से नाता रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को हार का सामना करना पड़ा है। सिंधिया के कभी करीबी और सांसद प्रतिनिधि रहे डॉ. के. पी. यादव ने उन्हें एक लाख 14 हजार से अधिक वोटों के अंतर से शिकस्त दी है। सिंधिया राजघराने के प्रतिनिधि इस संसदीय सीट से 14 बार जीत चुके हैं।

    गुना संसदीय क्षेत्र से ज्योतिरादित्य की दादी विजयराजे सिंधिया छह बार, पिता माधवराव सिंधिया चार बार और स्वयं ज्योतिरादित्य सिंधिया चार बार जीत चुके हैं। एक बार सिंधिया राजघराने के करीबी महेंद्र सिंह कालूखेड़ा ने यहां से जीत दर्ज कराई थी। यह पहला मौका है, जब ज्योतिरादित्य को हार का सामना करना पड़ा है।

    राजघरानों के लिहाज से भोपाल सीट महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यहां से कांग्रेस ने राघौगढ़ राजघराने के दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था। इस सीट पर सिंह का मुकाबला मालेगांव बम विस्फोट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर से था। यहां का चुनाव पूरी तरह हिंदुत्व के रंग में रंग गया और ठाकुर ने दिग्विजय सिंह को तीन लाख 64 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया है।

    राज्य की खजुराहो संसदीय सीट पर छतरपुर राजघराने से नाता रखने वाली कांग्रेस उम्मीदवार कविता सिंह का मुकाबला भाजपा के विष्णु दत्त शर्मा से था। इस चुनाव को स्थानीय बनाम बाहरी, बहू बनाम जमाई बनाया गया, मगर शर्मा ने सिंह को चार लाख 90 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया।

    शर्मा ने इस जीत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यो, जनहित में लिए गए फैसलों की जीत बताई है। उन्होंने कहा, “मैं तो किसान का बेटा हूं और खजुराहो से पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्देश दिया, जिसे मैंने पूरा किया। जनता को राजा या महाराजा नहीं, बल्कि सेवक चाहिए, इसीलिए उसने मुझ जैसे साधारण व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि चुना है। अब जनता की आकांक्षा पूरी करना मेरी पहली जिम्मेदारी है।”

    इसी तरह सीधी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार और चुरहट राजघराने के अजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा है। सिंह को भाजपा की रीति पाठक ने दो लाख 88 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया है। सिंह पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे हैं। सिंह इसके पहले विधानसभा चुनाव भी हार गए थे।

    राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास के अनुसार, “देश हो या मध्य प्रदेश, हर जगह जनता का मूड बदल रहा है। यह संदेश इस बार के चुनावी नतीजों ने दिया है। युवा और पिछड़े वर्ग के लोग किसी भी नेता की चमक-दमक को बर्दाश्त नहीं करते। राजघरानों का प्रभाव कम हुआ है, मगर इन परिवारों से नाता रखने वाले प्रतिनिधियों के अंदाज नहीं बदले हैं। इसी का नतीजा है कि राज्य में रियासतों से नाता रखने वाले प्रतिनिधियों को शिकस्त मिली है।”

    राज्य के 29 लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था। इसमें भाजपा ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस सिर्फ छिंदवाड़ा में जीत हासिल कर सकी। पिछले चुनाव में राज्य की 29 सीटों में से 27 सीटों पर भाजपा और दो पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। बाद में एक उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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