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    वन्य प्राणियों और खासकर कछुओं की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी करने वाले तपस बसक उर्फ रॉनी को मध्य प्रदेश के सागर जेल में ही रहना होगा, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। इस बीच, तपस के विदेशों में निवासरत साथियों को भारत लाने के लिए राज्य का वन विभाग इंटरपोल की मदद लेने का प्रयास कर रहा है।

    प्रधान मुख्य वन संरक्षक यू. प्रकाशम (पीसीसीएफ) ने बताया, “आरोपी तपस उर्फ रॉनी को मध्यप्रदेश एसटीएफ (वन्य प्राणी) द्वारा अगस्त 2018 में कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन स्थानीय न्यायालय (कोलकाता) द्वारा उसे सशर्त जमानत दे दी गई थी। आरोपी जमानत की शर्तो को नकारते हुए नियत तिथि पर पेशी पर नहीं आया था। आरोपी के विरुद्घ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया और उसकी तलाश जारी रही। मार्च 2019 में एसटीएफ ने इसे पुन: गिरफ्तार कर सागर न्यायालय में प्रस्तुत किया।”

    बताया गया है कि तपस उर्फ रॉनी ने जमानत के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसे मंगलवार को निरस्तर कर दिया गया। इसके चलते रॉनी को अब सागर के जेल में ही रहना हेागा।

    आधिकारिक जानकारी के अनुसार, राज्यस्तरीय टाईगर स्ट्राइक फोर्स ने मार्च 2019 में आरोपी रॉनी को गिरफ्तार कर सागर के विशेष न्यायालय में पेश किया था। तब से आरोपी सागर जेल में ही निरुद्घ है।

    सूत्रों के अनुसार, कछुए का अंतर्राष्ट्रीय तस्कर रॉनी कोलकाता का रहने वाला है और इसका अवैध व्यापार सिंगापुर, थाईलैंड, मलेशिया, मकाऊ, हांगकांग, चीन, मेडागास्कर आदि देशों में फैला हुआ है। रॉनी और उसके साथियों द्वारा जिन रेड क्राउंस रूफ टरटल्स की तस्करी की जा रही थी, वे केवल विश्व में चंबल वन्यजीव अभयारण्य में ही बचे हैं। पूरे विश्व में प्राकृतिक आवास में इन कछुओं की अनुमानित संख्या 500 है। रॉनी ने उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल आदि राज्यों से भी दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को विदेश में बेचे हैं।

    आधिकारिक जानकारी के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जबलपुर उच्च न्यायालय को प्रकरण की सुनवाई छह माह के अंदर पूरा करने के निर्देश दिए हैं।

    ज्ञात हो कि इसके पहले भी राज्य एसटीएफ (वन्य प्राणी) द्वारा मोस्ट वांटेड अंतर्राष्ट्रीय कछुआ तस्कर मुरुगेसन मनीवन्नम को गिरफ्तार किया गया था। इस प्रकरण में भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका को खारिज करते हुए प्रकरण की सुनवाई छह माह के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए गए थे।

    कछुओं की तस्करी के मामले में (जिसमें तपस शामिल है) अब तक चार राज्यों के 15 आरोपियों को गिरफ्तार कर दुर्लभ प्रजाति के कछुए की तस्करी में उपयोग की गई मर्सिडीज कार को जब्त कर लिया गया है। प्रकरण में थाईलैंड, हांगकांग और मलेशिया के आरोपियों को गिरफ्तार करना बाकी है। प्रदेश का वन विभाग इसके लिए इंटरपोल से मदद लेने के प्रयास कर रहा है।

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