मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया। 15 वर्षों से मध्य प्रदेश की सत्ता में वनवास झेल रही कांग्रेस ने ‘वचनपत्र’ नाम के अपने घोषणापत्र में सत्ता में आने के बाद सरकारी कार्यालय और उनके प्रांगण में आरएसएस की शाखाओं पर प्रतिबन्ध लगाने का वादा किया गया है। साथ ही शाखा में जाने के लिए कर्मचारियों को मिलने वाली छूट को भी समाप्त करने की घोषणा की है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और राज्य के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपस्थिति में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारी किये गए घोषणापत्र में गाय, गोबर से लेकर राम तक का जिक्र है।
भाजपा के उग्र हिंदुत्व के जवाब में इसे पार्टी का सॉफ्ट हिंदुत्व माना जा रहा है। राज्य में जबसे चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई है तभी से कांग्रेस के नेताओं ने मंदिरों के दर्शन और नर्मदा परिक्रमा जैसे आयोजनों से खुद को जोड़ना शुरू कर दिया था।
घोषणापत्र में राज्य के प्रत्येक पंचायत में एक गौशाला खोलना, घायल गायों के इलाज की समुचित व्यवस्था करना, गोबर से बने उपलों का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने की बात कही गई है। इसके अलावा अपने 14 वर्ष के वनवास में भगवान् राम जिन जिन रास्तों से गुजरे थे उन रास्तों को ‘राम पथ’ के रूप में विकसित करने का भी लक्ष्य है।
घोषणापत्र में संघ की शाखाओं पर प्रतिबन्ध की बात आते ही भाजपा, कांग्रेस पर हमलावर हो गई। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर भड़कते हुए कहा कि ‘कांग्रेस का दो ही लक्ष्य है – एक मंदिर नहीं बनने देना और दूसरा संघ को नहीं चलने देना।’
पात्रा ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि ‘ये वही लोग हैं जिन्होंने कहा था कि राम काल्पनिक चरित्र हैं। इनके नेता कपिल सिब्बल कोर्ट में कहते हैं 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं होनी चाहिए।’
पात्रा ने कहा कि ‘इन्हे सिमी जैसे आतंकी संगठनों से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इसे राष्ट्रवादी संगठन संघ से दिक्कत है। 26/11 हमले में पाकिस्तान को क्लीनचिट दे कर इसे आरएसएस की साजिश बताने वाले दिग्विजय सिंह आज आरएसएस पर प्रतिबन्ध की बात करते हैं।’
पात्रा के आरोपों पर पलटवार करते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि ‘आरएसएस की शाखाओं पर प्प्रतिबन्ध लगाने की बात में कुछ भी गलत नहीं है। संघ चाहे लाख कहे कि वो राजनैतिक संगठन नहीं है लेकिन सच्चाई सब को पता है। सरकारी कर्मचारियों को ऐसे संगठनों से दूरी बनानी चाहिए।’