मध्यप्रदेश से रिक्त हो रही तीन राज्यसभा सीटों में से दो के कांग्रेस के खाते में आना तय है और इसके लिए जोर-आजमाइश के आसार बनने लगे हैं, क्योंकि इसके लिए आधा दर्जन दावेदारों के नाम सामने आने लगे हैं।
राज्य से तीन राज्यसभा सदस्य- कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल अप्रैल में पूरा हो रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन के चलते खाली हो रही तीन में से दो सीटों पर कांग्रेस और एक पर भाजपा के उम्मीदवार का विधायकों की संख्या के आधार पर जीतकर जाना तय माना जा रहा है।
कांग्रेस की ओर से संभावित दो सीटों के लिए तीन बड़े दावेदारों पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी के नाम सामने आ रहे हैं। इसके अलावा अजय सिंह, मीनाक्षी नटराजन और दीपक सक्सेना के नाम भी दावेदारों में गिने जा रहे हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि एक सीट पर सामान्य और अन्य पर आरक्षित व्यक्ति को भेजा जा सकता है, क्योंकि पार्टी अपने परंपरागत वोटबैंक अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग में पकड़ बनाए रखना चाहती है।
कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि पार्टी हाईकमान एक सीट पर गुना से लोकसभा चुनाव में पराजित होने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा में भेजने पर जोर दे रही है, और इसकी वजह भी है। सिंधिया जहां गांधी परिवार के नजदीकी हैं, वहीं राज्यसभा में अच्छे वक्ता की भी पार्टी जरूरत महसूस कर रही है।
इतना ही नहीं, सिंधिया को राज्यसभा का सदस्य बनाए जाने से उनकी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी को भी कुछ कमजोर किया जा सकता है। मुख्यमंत्री कमल नाथ भी सिंधिया को राज्यसभा भेजने पर किसी तरह का ऐतराज नहीं जताएंगे।
एक तरफ जहां सिंधिया को पार्टी अपनी रणनीति के तहत राज्यसभा भेजना चाहती है तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह दोबारा राज्यसभा जाने का दावा रखते हैं। सिंधिया और दिग्विजय के नाम पर टकराव की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। इसके साथ ही कांग्रेस एक ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी पर दांव लगा सकती है।
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि कांग्रेस अपनी दीर्घकालिक रणनीति के तहत राज्य में अपने आरक्षित वर्ग के वोटबैंक को सुदृढ़ करने के लिए आरक्षित वर्गो से एक प्रत्याशी को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार सकती है। वहीं दूसरी सीट के लिए कांग्रेस में द्वंद होना तय है, मगर चयन उसी व्यक्ति का होगा, जिसे मुख्यमंत्री कमल नाथ चाहेंगे।
विधानसभा के गणित पर गौर करें तो 230 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं, भाजपा के 108 और इसके अलावा बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय हैं। एक राज्यसभा सदस्य के लिए 58 विधायकों का समर्थन जरूरी है, इस स्थिति में कांग्रेस के दो सदस्यों का निर्वाचित होना तय माना जा रहा है, क्योंकि उसे बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है।